कर्म-जीवन की स्मृति

सद्गुरु जग्गी वासुदेव
क्रिया उस प्रकार का कार्य है जो खुद को एक बिलकुल अलग आयाम पर अंकित करता है और सिस्टम में जमा हुए कर्म के अवशेषों को खत्म करने लगता है। कर्म कई तरह के होते हैं, उनकी कई अलग-अलग परतें और कई अलग-अलग आयाम होते हैं…
कर्म शब्द लोगों के मन में अलग-अलग तरह की समझ पैदा करता है। कर्म का मतलब है कार्य। कार्य कई अलग-अलग स्तरों पर होता है। शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और ऊर्जा के स्तर पर किए गए कार्यों को हम कर्म कह सकते हैं। अगर कार्य इन चार आयामों से ज्यादा गहराई में बैठता है, तो हम उसे क्रिया कहते हैं। तो कर्म और क्रिया दोनों का मतलब कार्य है, लेकिन कर्म उस किस्म का कार्य है जो सिस्टम पर एक बची खुची छाप या असर छोड़ता है। इसका मतलब है कि उस क्रिया की स्मृति और केमेस्ट्री कायम रहती है।
क्रिया उस प्रकार का कार्य है जो खुद को एक बिलकुल अलग आयाम पर अंकित करता है और सिस्टम में जमा हुए कर्म के अवशेषों को खत्म करने लगता है। कर्म कई तरह के होते हैं, उनकी कई अलग-अलग परतें और कई अलग-अलग आयाम होते हैं। आपके पिता ने जो क्रियाकलाप किए, वे आपके भीतर कई अलग-अलग तरीकों से काम कर रहे हैं और सक्रिय हो रहे हैं, सिर्फ आपकी परिस्थितियों में ही नहीं, बल्कि आपके शरीर की हर कोशिका में। आपमें से कई लोगों ने देखा होगा कि जब आप अठारह या बीस साल के थे, तो आपने अपने पिता या माता के खिलाफ पूरी तरह से विद्रोह कर दिया था, लेकिन जब तक आप चालीस या पैंतालीस के हुए, तो आप उनके जैसा ही व्यवहार करने लगे। आप उनकी तरह बोलते और काम करते हैं। यह जीने का एक निराशाजनक तरीका है क्योंकि अगर जीवन खुद को दोहराता रहेगा, अगर यह पीढ़ी उसी तरह से जिएगी, काम, बर्ताव और जीवन को अनुभव करेगी जैसा पिछली पीढ़ी ने किया था, तो यह एक बर्बाद पीढ़ी है। इस पीढ़ी को जीवन को उस तरह से अनुभव करना चाहिए जिसकी कल्पना भी पिछली पीढ़ी ने नहीं की थी। कुछ पागलपन करके नहीं, बल्कि जिस तरह से आप जीवन का अनुभव करते हैं, उसे अगले स्तर पर ले जाना चाहिए।
लेकिन कर्म सिर्फ आपका या आपके पूर्वजों का नहीं है। पहला एक कोशिका वाला छोटा सा जीवन का अंश, उस बैक्टीरिया या वायरस का कर्म भी आज आपके भीतर काम कर रहा है। एक सामान्य आकार के शरीर में आपके पास लगभग 10 ट्रिलियन मानव कोशिकाएं होती हैं। लेकिन आपके शरीर में, सौ ट्रिलियन से ज्यादा बैक्टीरिया हैं, ये आपसे दस गुना ज्यादा हैं। सिर्फ आपके चेहरे की त्वचा पर, 18 बिलियन बैक्टीरिया हैं। आपका एक महत्त्वपूर्ण प्रतिशत वास्तव में बैक्टीरिया है। और आपके पास जो बैक्टीरिया है, वह आपके पूर्वजों के पास जिस तरह के बैक्टीरिया थे, उस पर निर्भर करता है।
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