उच्च से उच्चतर की यात्रा के नव-संकल्प

अंग्रेजों की काल गणना के अनुसार नए ईसाई वर्ष 2025 का आरंभ होने वाला है। 31 दिसंबर, 2024 की रात को 12 बजते ही नया साल शुरू हो जाएगा। कोई भी नया वर्ष एक नई शुरुआत का प्रतीक होता है। लोग इसे आत्मविश्लेषण और जीवन में सुधार का अवसर मानते हैं। अपने लक्ष्यों, आदतों और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव के संकल्प धारण किए जाते हैं। यह आत्मविकास, प्रेरणा और नए उत्साह से भरे जीवन की ओर एक कदम बढ़ाने का समय होता है। संकल्प हमारे जीवन में परिवर्तन लाने और सफलता प्राप्त करने का सबसे प्रभावशाली साधनों में से एक है। यह केवल एक विचार या इच्छा नहीं है, बल्कि एक दृढ़ निश्चय है जो व्यक्ति को अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रेरित करता है। इतिहास और जीवन के अनुभव इसके प्रमाण हैं कि जब मनुष्य किसी कार्य को पूरा करने का संकल्प धारण करता है, तो वह कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी विजय प्राप्त कर सकता है। संकल्प की शक्ति के पीछे मुख्य कारण है उसका मानसिक और भावनात्मक प्रभाव। जब हम किसी चीज का संकल्प लेते हैं, तो हमारा मस्तिष्क उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक एवं समर्पित योजना बनाता है और हमारी ऊर्जा को उसी दिशा में केंद्रित करता है। यह प्रक्रिया न केवल हमारी क्षमताओं को बढ़ाती है, बल्कि हमें अनुशासन और निरंतरता का पाठ भी सिखाती है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को सुधारने का संकल्प लेता है, तो वह नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की दिशा में काम करता है। संकल्प केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और देश को भी प्रगति की राह पर ले जा सकता है।
उदाहरण के लिए, स्वामी विवेकानंद ने भारत के पुनर्जागरण और युवा शक्ति को जागृत करने का संकल्प लिया। उन्होंने देशभर में भ्रमण कर लोगों को जागरूक किया और आत्मविश्वास का संदेश दिया। उनका मानना था कि युवा पीढ़ी के जागरण से ही भारत पुन: अपनी खोई हुई गरिमा प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो।’ यह संकल्प आज भी व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय जीवन को समर्पित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु भारतीय युवा शक्ति को प्रेरित एवं उत्साहित करता है। हालांकि, संकल्प लेना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण है उसे निभाना। अक्सर लोग जोश में संकल्प लेते हैं, लेकिन उन्हें लंबे समय तक निभा नहीं पाते। इसका मुख्य कारण है धैर्य और अनुशासन की कमी। इसलिए यह आवश्यक है कि संकल्प व्यावहारिक और यथार्थवादी हों। इसके साथ ही, आत्मनिरीक्षण और प्रेरणा के साधनों का सहारा लेना भी उपयोगी हो सकता है। अंतत:, संकल्प की शक्ति हमारे जीवन को नया आकार देने और हमें हमारी पूरी क्षमता तक पहुंचाने का माध्यम है। यह हमें हमारे सपनों को साकार करने और एक बेहतर व्यक्ति बनने की दिशा में आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता है। सही दिशा में लिया गया संकल्प न केवल व्यक्ति का भविष्य बदल सकता है, बल्कि समाज और दुनिया को भी नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।
-डा. रविंद्र सिंह भड़वाल
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