पांच महीने बाद भी खाताधारकों को नहीं मिली जमापूंजी
खाताधारकों ने दी चेतावनी, जल्द नहीं मिली जमापूंजी तो होगा आंदोलन
संजीव ठाकुर-नौहराधार
नौहराधार में मौजूद कॉ-ऑपरेटिव बैंक में 13 अगस्त, 2024 को करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया था। बैंक के कर्मचारी ने ही इस जालसाजी को अंजाम दिया था। आज पांच महीने बीत जाने पर भी बैंक खाताधारकों की जमापूंजी मात्र 13 लोगों को ही दे पाई है तथा अभी करीब 100 खाताधारक अभी शेष बचे हैं। खाताधारक हर रोज बैंक के चक्कर लगा रहे हैं। खाताधारकों का कहना है कि बैंक कर्मी ने इतना बड़ा घोटाला किया। आरोपी जेल के सलाखों के पीछे तो पहुंच गया अब उसे जमानत भी मिल गई, मगर उनका पैसा नहीं मिला। उन्हें न्याय नहीं मिला है जिससे बैंक के खाताधारकों का विश्वास टूट चुका है। अब लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द हमारी जमापूंजी वापस नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। खाताधारक मामराज, सुरेंद्र सिंह, दलीप सिंह, पवन अत्री, इंद्रपाल चौहान, जोगेंद्र सिंह, समाजसेवी रविंद्र सिंह आदि ने बताया कि बैंक प्रबंधन ने नौहराधार आकर 20 सितंबर तक सारा पैसा लौटाने का वादा किया था। करीब 100 खाताधारक अभी भी शेष बचे हैं। बैंक प्रबंधन के सुस्त रवैया के कारण हमारा विश्वास टूटता जा रहा है। उन्होंने कहा कि बैंक को होश दिलाने के लिए शीघ्र बैंक प्रबंधन के खिलाफ बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं और हमें मजबूरन कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। इनका कहना है कि बैंक के उच्चाधिकारी फोन तक नहीं उठा रहे हैं। आरोपी को जमानत तक मिल गई। खाताधारकों का कहना है कि आज के समय में हमारी बैंक में सिविल तक खराब हो गई है, क्योंकि कई लोगों के फर्जी लोन बनाए गए हैं। उन्होंने बयान में कहा कि हमें आज पैसों की जरूरत है। घर में शादियां व माघी त्योहार चल रहा है। बिना पैसों से हम लोग सडक़ पर आ गए हैं, बैंक प्रबंधन खामोश बैठा है।
क्या है मामला
नौहराधार कॉ-ऑपरेटिव बैंक में 13 अगस्त, 2024 को करोड़ों रुपए का गबन हुआ था। बैंक के ग्राहकों में 13 अगस्त, 2024 को उस समय हडक़ंप मच गया जब उन्हें पता लगा कि उनके लाखों रुपए की एफडी और बैंकों में जमा पैसा निकाल लिया गया है। नौहराधार बैंक में ऐसा एक-दो ग्राहक के साथ नहीं, बल्कि दर्जनों ग्राहकों के साथ हुआ है। मामले की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि बैंक में लगभग चार करोड़ रुपए से उपर का गबन हुआ। आरोप बैंक के ही सहायक प्रबंधक पर लगे हैं। हालांकि मामले का खुलासा अगस्त महीने के शुरुआत में शुरू हो गया था। खुलासा अगस्त के दूसरे सप्ताह में हुआ। दरअसल बैंक के कुछ ग्राहकों को पता चला कि उनकी एफडी में से पैसे विड्रॉल कर लिए गए हैं। कुछ ग्राहकों के खातों से भी पैसे गायब थे। कई ग्राहकों के फर्जी लोन तक बनाए गए। ग्राहकों की एफडी के लाखों रुपए गायब होने से ग्राहक हक्के-बक्के रह गए। ग्राहकों ने इस संबंध में उच्च अधिकारियों को शिकायत की तो समूचे प्रकरण का खुलासा हुआ। उच्च अधिकारियों को शक हुआ कि ग्राहकों के साथ ऑनलाइन फ्रॉड हुआ है, मगर जब मामले की जांच की गई तो पता चला कि इस मामले में बैंक के ही सहायक प्रबंधक का हाथ है।
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