सुखदायी है ‘चिल्ड्रन ऑफ दि स्टेट’ योजना

By: Jan 23rd, 2025 12:05 am

हिमाचल प्रदेश में अनाथ बच्चों की व्यथा एवं परेशानी को समझते हुए कुछ एनजीओ एवं समाजसेवी संस्थाओं ने भी सहायता के लिए हाथ आगे बढ़ाए हैं जिनमें रिटायर्ड आईएएस अधिकारी राजेंद्र सिंह नेगी ने आरके शर्मा के सहयोग से आदर्श बाल निकेतन आश्रम के निर्माण पर 1.40 करोड़ रुपए की राशि खर्च कर एक अनूठी मिसाल कायम की है…

हिमाचल प्रदेश के इतिहास में 06 अप्रैल, 2023 के दिन को ऐतिहासिक माना जाएगा जब राज्य विधानसभा ने हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय (राज्य के बच्चों की देखभाल, संरक्षण और आत्मनिर्भरता) विधेयक 2023 को पारित किया गया। इस योजना का उद्देश्य निराश्रित बच्चों और अनाथों की देखभाल करना है। विधेयक में निराश्रित बच्चों और अनाथों को राज्य के बच्चे (चिल्ड्रन ऑफ दि स्टेट) के रूप में परिभाषित किया गया है और इन बच्चों की शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और भविष्य को सुरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री सुक्खू के अनुसार हिमाचल प्रदेश ऐसा विधेयक पारित करने वाला भारत का पहला राज्य है तथा विधेयक के कार्यान्वयन के लिए पूर्ण बजट का प्रावधान भी किया गया है और इसके लिए 101 करोड़ रुपए की धनराशि निर्धारित की गई है। विधेयक के अनुसार अनाथ बच्चों को 27 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद उन्हें तीन बिस्वा जमीन और घर बनाने के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा। इसे मुख्यमंत्री अनाथ एवं बेसहारा बच्चों की मदद करने को मानवता और इनसानियत से जुड़ा हुआ मुद्दा करार देते हैं। विधेयक के प्रावधानों के क्रियान्वयन पर लगभग 272.27 करोड़ रुपए का व्यय आएगा। राज्य सरकार अनाथ और बेसहारा बच्चों को 18 वर्ष की आयु पार करने के बाद बाल देखभाल संस्थानों में दो साल तक रहने की व्यवस्था करेगी।

अपवादस्वरूप, ऐसे बच्चों को 23 वर्ष की आयु तक देखभाल संस्थानों में रखा जा सकेगा जहां ये संस्थान उनकी शिक्षा और रोजगार योग्य कौशल और प्लेसमेंट प्रदान करेंगे, जिससे उन्हें मुख्यधारा में फिर से शामिल होने में सुविधा होगी। हिमाचल में ऐसे अनेक अनाथ बच्चे हैं जिनकी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है। ऐसे अनाथ बच्चे या तो अनाथालयों में रहते हैं या फिर सडक़ के किनारे फुटपाथ पर रहते हैं। चूंकि अनाथ बच्चों का कोई भी सहारा नहीं होता है और वह यहां-वहां भटकते रहते हैं, ऐसे में कई बार उनके आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने की आशंका भी बनी रहती है। इस योजना में हिमाचल प्रदेश के मूल निवासी सिर्फ अनाथ बच्चों को ही शामिल किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश की यह योजना अनाथ बच्चों के लिए शुरू की गई बहुत ही महत्वपूर्ण एवं कल्याणकारी योजना मानी जा रही है। ऐसी ही एक योजना केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बाल संरक्षण सेवा (चाइल्ड प्रोटेक्शन सर्विस-सीपीएस) योजना या ‘मिशन वात्सल्य’ शुरू की गई है। यह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की संवेदनशील और दूरदर्शी सोच का ही नतीजा है कि सरकार ने इन बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ दि स्टेट’ का दर्जा प्रदान कर अभिभावक के रूप में इन्हें अपनाया है। मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालते ही सीएम सुक्खू ने बेसहारा बच्चों को अपनाने का संकल्प लिया था। यह उनकी संवेदनशीलता का परिचायक भी है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने चिल्ड्रन ऑफ दि स्टेट के पहले दल को 13 दिवसीय भारत भ्रमण पर रवाना किया था। इस दल में 22 बच्चों को भ्रमण पर भेजा गया था, जिनमेंं 16 लड़कियां और 6 लडक़े शामिल थे। इस दौरान बच्चों ने चंडीगढ़, दिल्ली और गोवा का भ्रमण किया। प्रदेश सरकार ने भ्रमण पर भेजे गए बच्चों के लिए विशेष प्रबंध किए थे ताकि वे आनंदपूर्वक अपना समय बिता सकें और मधुर स्मृतियों के साथ वापस लौटें।

उनकी आरामदायक यात्रा के लिए शताब्दी ट्रेन और हवाई यात्रा की व्यवस्था की गई थी। जब ये बच्चे भारत भ्रमण से वापस लौटे तो शिमला के जिलाधीश एवं पुलिस अधीक्षक ने उनका स्वागत किया और बच्चों के चेहरे पर संतोष की झलक स्पष्ट दिखाई दे रही थी और इसका श्रेय मुख्यमंत्री की कार्यशैली को जाता है। चिल्ड्रन ऑफ दि स्टेट (बच्चों) को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिह सुक्खू का कहना है कि इन अनाथ बच्चों का हिमाचल की संपदा पर बराबर अधिकार है। उनकी सरकार ही माता है और सरकार ही पिता है। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार बाल आश्रम टूटीकंडी तथा मसली में 21-21, बालिका आश्रम मशोबरा में 88, ऑब्जरवेशन कम स्पेशल होम हीरानगर में 10, बालिका आश्रम दुर्गापुर में 39, बाल आश्रम रॉकवुड में 32, बाल आश्रम सराहन में 15, बालिका आश्रम सुन्नी में 11, शिशु गृह शिमला में 18, स्टेट होम मशोबरा में रह रहे 18 बच्चों व महिलाओं को त्योहार भत्ता भी दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में अनाथ बच्चों की व्यथा एवं परेशानी को समझते हुए कुछ एनजीओ एवं समाजसेवी संस्थाओं ने भी सहायता के लिए हाथ आगे बढ़ाए हैं जिनमें रिटायर्ड आईएएस अधिकारी राजेंद्र सिंह नेगी ने आरके शर्मा के सहयोग से आदर्श बाल निकेतन आश्रम के निर्माण पर 1.40 करोड़ रुपए की राशि खर्च कर एक अनूठी मिसाल कायम की है। जिला सिरमौर के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के बनी-बखोली पंचायत में अप्रैल 2018 में शुरू हुआ यह आश्रम 8839 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है तथा इसमें 25 बच्चों को रखने की क्षमता है।

वर्तमान में यहां 21 बच्चे रह रहे हैं। इसी प्रकार भूतपूर्व सैनिकों के अनाथ बच्चों को वित्तीय सहायता देने के लिए आरएमईडब्ल्यूएफ द्वारा सभी रैंकों के भूतपूर्व सैनिकों के 21 साल तक के अनाथ बेटों और अविवाहित बेटियों को हर महीने 3000 रुपए दिए जाते हैं। यूनिसेफ के अनुसार 2007 में भारत में लगभग 25 मिलियन अनाथ बच्चे थे। राज्य के 6000 अनाथ बच्चों के बारे में सोचना और उनके लिए एक दीर्घकालीन नीति बनाकर उसे योजनाबद्ध तरीके से क्रियान्वित करना मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की दूरदर्शी सोच एवं संवेदनशीलता को दर्शाता है। आशा की जा सकती है कि मुख्यमंत्री सुक्खू इसी प्रकार से कुछ और ऐसी नीतियां, कार्यक्रम और योजनाओं को सामने लाएंगे जिससे प्रदेशवासियों का हित होगा और हिमाचल प्रदेश उनके गतिशील नेतृत्व में आगे बढ़ेगा।

अनुज आचार्य

स्वतंत्र लेखक


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