बारिश की आस में कुल्लू के बागबान

72 घंटों से छाए बादल, आसमान की तरफ टकटकी लगाए किसान
गिरीश वर्मा-पतलीकूहल
कुल्लू घाटी में पिछले 72 घंटों से आसमान पर बादलों का राज है मगर क्षेत्र में बर्फबारी व वर्षा नहीं हो रही है, हालांकि मौसम का यह मिजाज कृषि व बागबानी को करने दे रहा है लेकिन मौसम का कक मिजाज पहाड़ों पर कुदरत की सफेद ओढऩी से महरूम है। वैसे भी अभी तक जिस तरह की बर्फ बारी व वर्षा चाहिए थी नहीं हो रही मात्र बादल नीले अंबर को ढके हुए है।
मौसम का यह मिजाज वातावरण को मध्यम बनाए हुए है जिससे कडक़ ठंड की तासीर नम हो गई है। बागबानों को चिंता है कि जिस तरह से मौसम अंगड़ाई लिए हुए है उसके सदृश बरसने में कोताही बरत रहा है। यहां की ऊंची पर्वतमालाओं पर कुछ दिन पहले बिछी बर्फ की चादर भी मौसम के इस मिजाज से सिमट रही है, इससे सेब को मिलने वाले चिलिंग आवर्ज पूरे नहीं होंगें। बागवान भरत, चंद्रशेखर, कमल, संजीव, कुशाल, दीनानाथ, टिकमराम, अमर चंद, विकास, संजय, मोहन, हीरालाल ने बताया कि आसमां में बादल छाये रहने से आजकल सेब के बागानों में किसान सेब के नए पौधों के कार्य में व्यस्त हैं और खेतों व बागानों में रासायनिक व जैविक खादों को डाल रहें हैं, इससे उन्हें कार्य करने के लिए समय मिल रहा हैं, वहीं पर आजकल किसान सेब की पौधों की काटछांट करने में भी व्यस्त है। कई लोग सेब के बागानों में इस समय कैंकर जैसे रोग से पौधों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बोर्डो मिश्रण व पौधों में लगी मेंहदी को समाप्त करने के लिए कास्टिक सोडा की स्प्रे कर रहें हैं। एचडीएम
खाद डालने का काम जोरों पर
बागवानों का कहना है कि इन दवाओं के स्प्रे करने के लिए यह समय बेहद उपयुक्त है, क्योंकि पौधों में रस चढऩे से पहले ही इनका छिडक़ाव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पौधों के सुप्तावस्था में ही इनका उपयोग कर सकते हैं जब पौधों में रस; सेप चढऩा शुरू हो जाता है उस अवस्था में इनका छिडक़ाव हानिकारक रहता है जिससे पौधों को नुकसान होने का भय रहता है। बागवान खेख राम नेगी ने बताया कि इस समय घाटी में पुनिंग व खाद डालने का कार्य जोरों पर है, लेकिन अभी तक क्षेत्र में जिस तरह की बर्फबारी व वर्षा होनी चाहिए थी वह माहौल नहीं बना है। यहां की ऊंची पर्बतमालएं व निचले क्षेत्र पर्याप्त वर्षा का इंतजार कर रहें हैं ताकि आने वाले महीनों में खेतों व बागानों में नमी का संचार पर्याप्त मात्रा में हो। पिछले तीन दिनों से घाटी में बादल छाये हुए है लेकिन वर्षा व बर्फबारी नहीं हो रही है। कुल्लू घाटी में जिस तरह से मौसम का मिजाज बना हुआ है उससे बाहरी रायों से आने वाले सैलानियों की आमद इजाफा हो रहा है जिससे पर्यटन कारोबार चमक रहा है। यहां आने वाले सैलानि जहां साहसिक गातिविधियों रिवर राफटिंग व पैराग्लाईडिंग का लुत्फ ले रहें हैं वहीं पर कारोबारियों को बढिय़ा आमदनी का सृजन हो रहा है। हांलाकि सैलानी घाटी में मौसम के मिजाज को देखते हुए जहां ताजा बर्फबारी का इंतजार कर रहें हंै।
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