अनिद्रा रोग की जकड़ में 2037 का भारत
पाश्चात्य जीवन शैली की नकल में वर्तमान भारतीय संस्कृति इतनी भ्रष्ट व बेईमान हो चुकी है कि भरोसा नाम की कोई चीज ही नहीं बची। भारत सारी दुनिया में विश्व गुरु बनने की राह पर प्रगतिशील है, मगर विकास यात्रा के नाम पर विदेशों का कचरा भी भरा जा रहा है। इस बदलते हुए वातावरण में आदमी का जीवन स्तर पहले से ज्यादा बेहतर हुआ, मगर हम असली-नकली का अंतर करने में फेल हो रहे हैं।
हर माल का डुप्लीकेट पहुंच गया है। आज के दौर में हर इनसान का आहार तक नकली हो गया है, फिर धर्म की रक्षा कौन करेगा? नई-नई बीमारियां फैल रही हैं, कोरोना के बाद अब आशंका है कि अनिद्रा की बीमारी वैश्विक महामारी का रूप धारण कर लेगी। वर्ष 2037 तक भारत भी इससे प्रभावित होगा, अत: इसकी रोकथाम के लिए अभी से कारगर योजना का निर्माण शुरू हो जाना चाहिए।
-ठाकुर दास शर्मा, मंडी
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