टिंबी से लेकर शिरीक्यारी तक पहुंची जांच-पड़ताल
लालढांग-पांवटा साहिब-हाटकोटी राष्ट्रीय उच्च मार्ग-707 में निर्माण अनियमितताओं को लेकर लोगों में फूटा गुस्सा
टीम-शिलाई, कफोटा
लालढांग-पांवटा साहिब-हाटकोटी राष्ट्रीय उच्च मार्ग-707 में निर्माण अनियमितताओं को लेकर एनजीटी में दायर याचिका की जांच चौथे चरण में टिंबी से शिरीक्यारी तक पहुंची। जहां मौके पर पहुंची मोर्थ व अन्य विभाग के दल को कई जगह स्थानीय लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। यहां तक कि गुस्साए लोगों ने कई विभागों को भी इसके लिए दोषी ठहराते हुए कहा कि यदि विभाग इन निर्माता कंपनी के विरुद्ध समय पर कदम उठाता तो आज प्रशासन व आम जनता को जलील नहीं होना पड़ता। अब तक जांच में एक बात तो साफ है कि यह जांच एक दिखावा बनकर रह गई है। बीते एक वर्ष से जांच पूरी नहीं हुई है। निर्माता कंपनियों ने अपने बचाव में एनजीटी में झूठा लिखित जबाव दिया है कि कंपनियों से निर्माण के दौरान जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कर दी है। कार्य के दौरान जो योजनाएं क्षतिग्रस्त हुई थी उसे रिइंस्टॉल कर दिया गया है, जबकि ग्रामीणों के गुस्से में एक बात तो स्पष्ट दिखी कि मौके की स्थिति के अनुसार स्थिति जस की तस है।
अभी तक पांच फेज में से तीन फेज की भी जांच पूरी नहीं हुई है। जांच पूर्ण होने पर रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी जाएगी। बीते दिन हुई जांच में एक बात तो सामने निकलकर आई है कि कंपनी ने अवैज्ञानिक ढंग से काम कर निजी व सरकारी भूमि को कई सौ करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है। सूत्र बताते हैं कि बिना अधिग्रहण के अकेले वन तथा आरक्षित वन भूमि का 220 करोड़ से ज्यादा नुकसान निर्माता कंपनियों ने किया है। इसके अतिरिक्त अन्य विभाग जल शक्ति विभाग, लोक निर्माण विभाग, राजस्व विभाग, खनन विभाग व निजी मालिकों को जो नुकसान आरओडब्ल्यू के बाहर किया है वह इससे कई गुणा ज्यादा है, लेकिन लोगों को हैरानी इस बात की है कि इतना नुकसान होने के बाद भी विभिन्न विभाग चुप्प रहे। अंतत: समाजसेवी नाथू राम चौहान को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली में जाकर याचिका दायर करनी पड़ी। कहने को तो यह राष्ट्रीय उच्च मार्ग ग्रीन कोरिडोर है, लेकिन मौके की स्थिति से यहां प्राकृतिक हरियाली को तहस-नहस कर डाला है।
नुकसान की रिपोर्ट के कोई भी दस्तावेज नहीं
निर्माता कंपनियों से वन विभाग की मिलीभगत को भी नहीं नकारा जा सकता। विभाग के कार्यप्रणाली से ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग निर्माण कार्य के दौरान आंख मूंदे बैठा रहा। इतना भारी नुकसान होने के बाद उसके पास नुकसान की रिपोर्ट नहीं है। इसकी भी क्षेत्रवासियों ने जांच मांगी है। उधर वन मंडल रेणुका के डीएफओ बलदेव राज कंडेटा ने बताया कि अब तक विभाग के पास नुकसान की रिपोर्ट के कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। इसका मूल्यांकन किया जा रहा है। वन विभाग का कितना नुकसान हुआ है यह मूल्यांकन के बाद पता चलेगा। उन्होंने अभी कार्यभार संभाला है। पिछले कार्यकाल में क्या हुआ वह टिप्पणी नहीं करेंगे।
प्रशासन से नाराज दिखे लोग
जांच के दौरान टिंबी, गंगटोली, उत्तरी, लोहराड़, धकोली, शिलाई, बांदली में लोगों में बहुत आक्रोश देखने को मिला। मौके पर ग्रामीण सुंदर सिंह, गुमान सिंह, चंद्र सिंह, रमेश नेगी, विद्या देवी, कांता देवी सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने तत्त्कालीन विभागीय अधिकारी व प्रशासन पर भी सवालिया निशान लगाए। लोगों ने कहा कि यदि समय रहते इन बेलगाम कंपनियों पर लगाम लगाई जाती तो आज यह देखने को नहीं मिलता। लेकिन शिकायत करने के बाद भी स्थानीय प्रशासन व विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। मजबूरन लोगों को इतना नुकसान उठाने के बाद भी एनजीटी की शरण में जाना पड़ा। इसके लिए विभिन्न विभाग व तत्त्कालीन प्रशासन भी कहीं न कहीं दोषी है। जनता ने उन तत्त्कालीन अधिकारियों पर भी मजिस्ट्रेट जांच करवाने की मांग की है।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App or iOS App