कांग्रेस की इंडिया से लड़ाई की घोषणा
चीन तो सीमा पर हमला ही करता है। इस पृष्ठभूमि में राहुल गांधी का रहस्योद्घाटन सचमुच चिंता पैदा करता है। इंडियन स्टेट से लडऩे वाले अन्य समूह व पार्टियां खुल कर काम कर रही थीं। इससे भारतीय उनका मुकाबला भी करते हैं। लेकिन अब राहुल गांधी का कहना है कि उनकी पार्टी भी इसी काम में लगी हुई है। इसलिए यह सारा मामला गंभीर हो जाता है और सरकार को बाकायदा इसकी जांच करवानी चाहिए कि कांग्रेस ने क्या इंडियन स्टेट से लडऩे वाले अन्य समूहों से गठजोड़ तो नहीं बना लिया है? यह तो अच्छा हुआ कि राहुल गांधी ने अपने भोलेपन में पार्टी की इस भीतरी नीति का खुलासा समय से पहले ही कर दिया, अन्यथा मामला और गंभीर हो जाता। अमेरिका में बैठे जार्ज सोरोस इंडियन स्टेट से लड़ ही रहे हैं। दो दिन के बाद भूतपूर्व हो जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने इस सोरोस को अमेरिका का सबसे बड़ा सम्मान देकर उसका कद भी बढ़ाया है। विदेशों में ऐसे कई सोरोस हैं…
राहुल गांधी भारतीय संसद में विपक्ष के नेता हैं। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भी नेता हैं। वैसे लोकलाज के लिए कर्नाटक के एक वयोवृद्ध व्यक्ति मल्लिकार्जुन जी को अध्यक्ष के रूप में घोषित किया हुआ है, लेकिन सभी जानते हैं के ‘लोकलाज’ के बाद असली अध्यक्ष राहुल गांधी ही हैं। राहुल गांधी का एक गुण है। वह अपनी किसी बात को मन में छिपा नहीं पाते। इसलिए लोग उन्हें पप्पू भी कहते थे। जाहिर है कांग्रेस को अपने अध्यक्ष (वह इससे पहले आधिकारिक तौर पर पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं) के लिए यह विशेषण चुभता था। लेकिन इससे छुटकारा कैसे पाया जाए, यह बड़ी समस्या थी। तब किसी ‘भलेमानुस’ ने सलाह दी कि राहुल गांधी से एक लंबी पैदल यात्रा करवाई जाए। यात्रा से ज्ञान बढ़ता है और लोगों से मिलने-जुलने से व्यावहारिक बुद्धि भी बढ़ती है। पैदल यात्रा सही सलामत संपन्न हो गई। तब मीडिया ने भी लिखना शुरू कर दिया कि राहुल गांधी अब ‘मैच्योर’ हो गए हैं। उनकी बातों से ऐसा झलकने भी लगा है। पार्टी में खुशयां छा गईं। पचास साल से भी ज्यादा उम्र हो जाने पर भी पार्टी ने अपने नेता व रहबर के ‘मैच्योर’ होने का भी बाकायदा सार्वजनिक रूप से जश्ननुमा उल्लास प्रकट किया। लेकिन उनमें सांसारिक व व्यावहारिक बुद्धि बढ़ी या नहीं, इस पर संदेह बरकरार रहा। व्यावहारिक आदमी या पार्टी जब किसी योजना को बनाती है, खासकर ऐसी योजना जिसका क्रियान्वयन बहुत ही मुश्किल हो, उसका तब तक खुलासा नहीं करती, जब तक उसके लिए पूरी तैयारी, साधन, सहायक इत्यादि जुटा न लिए जाएं। लगता है राहुल गांधी यात्रा के बाद भी नहीं बदले। लेकिन अब उनको पप्पू नहीं कहा जा सकता, क्योंकि पप्पू से लोग किसी बड़े काम या योजना की आशा नहीं करते।
यदि कहना ही हो तो उन्हें ‘भोला’ कहा जा सकता है, जो बिना किसी छल कपट के अपनी सभी योजनाएं अपने विरोधियों को भी बता देता है। राहुल गांधी ने दो दिन पहले यही काम करके अपनी कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी योजना का खुलासा कर दिया। कांग्रेस ने दिल्ली में अपना पुराना दफ्तर छोड़ दिया है और अब नया दफ्तर खोला है। इस अवसर पर राहुल गांधी ने एक सच उगल दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भाजपा से लड़ रही है, आरएसएस से लड़ रही है। यहां तक तो ठीक था। सभी जानते हैं कि कांग्रेस भाजपा से लड़ रही है। चुनाव बगैरह में यह देखा ही जाता है। कांग्रेस आरएसएस से भी लड़ रही है, यह भी राहुल गांधी कोई नई बात नहीं बता रहे थे। कांग्रेस तो नेहरु के वक्त से ही आरएसएस से लड़ रही है। लेकिन उसके बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस की भीतर की तैयारी का भी खुलासा कर दिया। उन्होंने कहा कि दरअसल कांग्रेस तो ‘इंडियन स्टेट’ से लड़ रही है। अब कांग्रेस के लोग कह रहे हैं कि राहुल गांधी भोला है, किसी भी बात को छुपा कर नहीं रख पाता। जब राहुल गांधी अपनी पार्टी का यह घोषणापत्र बता रहे थे तो सामने बैठे कांग्रेस के बुजुर्ग नेता सन्नाटे में थे। सारा गुड़-गोबर कर दिया। समय से पहले ही पार्टी की अंदरूनी योजना जगजाहिर कर दी। अब लड़ाई कितनी मुश्किल हो जाएगी? दरअसल इंडिया स्टेट से की जाने वाली यह लड़ाई नई नहीं है। यह लड़ाई आठवीं शताब्दी में अरबों ने शुरू की थी। उसके बाद तुर्कों ने इसे जारी रखा। इसके बाद मुगल आए। उसके साथ ही पुर्तगालियों ने इंडिया स्टेट के खिलाफ यह लड़ाई जारी रखी। पुर्तगाल के बाद फ्रांस और ब्रिटेन ने इंडिया स्टेट के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। 1947 में अंग्रेज कांग्रेस को सत्ता का हस्तांतरण करने के बाद यहां से चले गए। तब भारत के लोगों ने समझा था कि शताब्दियों से चली आ रही इंडिया स्टेट के खिलाफ यह लड़ाई समाप्त हो गई है। लेकिन अब इंडियन नैशनल कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल गांधी ने यह रहस्योद्घाटन करके सबको चौंका दिया है कि कांग्रेस तो वास्तव में इंडियन स्टेट से ही लड़ रही है। सबसे दुख की बात तो यह है कि जिस पार्टी का नाम ‘इंडियन’ है, वही पार्टी ‘इंडियन स्टेट’ से लड़ रही है। इससे तो लगता है कि पार्टी ने अपने नाम के आगे इंडियन और नैशनल जो दो शब्द लगा रखे हैं, वे आम लोगों को धोखा देने के लिए हैं। वैसे राहुल गांधी ने यह खुलासा नहीं किया कि पार्टी ने इंडियन स्टेट के खिलाफ जो लड़ाई छेड़ रखी है, वह 1947 से ही चली हुई है या फिर जब से कांग्रेस पर सोनिया गांधी परिवार का कब्जा हुआ है, तब से पार्टी ने अपना ध्येय और रास्ता बदला है। देश में और भी कई संगठन हैं जिन्होंने इंडियन स्टेट से युद्ध की घोषणा कर रखी है। उदाहरण के लिए विविध नक्सलवादी ग्रुप हैं, कुछ चरमपंथी इस्लामी संगठन, मसलन आईएसआईएस हैं। इनके अतिरिक्त ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे हजार’ का उद्देश्य लेकर काम करने वाले छोटे-छोटे समूह हैं। विदेशों की कुछ नाम-अनाम शक्तियों ने भी इंडियन स्टेट के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।
चीन तो सीमा पर हमला ही करता है। इस पृष्ठभूमि में राहुल गांधी का रहस्योद्घाटन सचमुच चिंता पैदा करता है। इंडियन स्टेट से लडऩे वाले अन्य समूह व पार्टियां खुल कर काम कर रही थीं। इससे भारतीय उनका मुकाबला भी करते हैं। लेकिन अब राहुल गांधी का कहना है कि उनकी पार्टी भी इसी काम में लगी हुई है। इसलिए यह सारा मामला गंभीर हो जाता है और सरकार को बाकायदा इसकी जांच करवानी चाहिए कि कांग्रेस ने क्या इंडियन स्टेट से लडऩे वाले अन्य समूहों से गठजोड़ तो नहीं बना लिया है? यह तो अच्छा हुआ कि राहुल गांधी ने अपने भोलेपन में पार्टी की इस भीतरी नीति का खुलासा समय से पहले ही कर दिया, अन्यथा मामला और गंभीर हो जाता। अमेरिका में बैठे जार्ज सोरोस इंडियन स्टेट से लड़ ही रहे हैं। दो दिन के बाद भूतपूर्व हो जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने इस सोरोस को अमेरिका का सबसे बड़ा सम्मान देकर उसका कद भी बढ़ाया है। विदेशों में ऐसे कई सोरोस हैं जो भारत से दुखी हैं। क्या इसे संयोग कहा जाए कि राहुल गांधी जब भी विदेश यात्रा पर जाते हैं तो कोई नई योजना लेकर आते हैं। कांग्रेस को यह भी समझ लेना चाहिए कि इंडियन स्टेट से लड़ाई करके वह सत्ता हासिल नहीं कर सकती है। इसके विपरीत ऐसा करके वह कुछ लोगों को खुश तो कर सकती है, लेकिन इससे न कांग्रेस का भला होगा, न ही भारत को कोई लाभ होगा। साथ ही ऐसा करके कांग्रेस की भारतीय मतदाताओं में साख भी गिरेगी।
कुलदीप चंद अग्निहोत्री
वरिष्ठ स्तंभकार
ईमेल:kuldeepagnihotri@gmail.com
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