मकर संक्रांति : डटकर खाएं घी-खिचड़ी

By: Jan 11th, 2025 12:29 am

परंपरा से यह विश्वास किया जाता है कि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यह वैदिक उत्सव है। इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। गुड़, तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद बांटा जाता है। इस त्योहार का संबंध प्रकृति, ऋतु परिवर्तन और कृषि से है…

मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष जनवरी के महीने में समस्त भारत में मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है, जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। परंपरा से यह विश्वास किया जाता है कि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यह वैदिक उत्सव है। इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। गुड़, तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद बांटा जाता है।

इस त्योहार का संबंध प्रकृति, ऋतु परिवर्तन और कृषि से है। ये तीनों चीजें ही जीवन का आधार हैं। प्रकृति के कारक के तौर पर इस पर्व में सूर्य देव को पूजा जाता है, जिन्हें शास्त्रों में भौतिक एवं अभौतिक तत्त्वों की आत्मा कहा गया है। इन्हीं की स्थिति के अनुसार ऋतु परिवर्तन होता है और धरती अनाज उत्पन्न करती है, जिससे जीव समुदाय का भरण-पोषण होता है। यह एक अति महत्त्वपूर्ण धार्मिक कृत्य एवं उत्सव है। लगभग 80 वर्ष पूर्व उन दिनों के पंचांगों के अनुसार, यह 12वीं या 13वीं जनवरी को पड़ती थी, किंतु अब विषुवतों के अग्रगमन (अयनचलन) के कारण 13वीं या 14वीं जनवरी को पड़ा करती है। वर्ष 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन लोग तीर्थ-स्थलों पर स्नान भी करते हैं।

हिमाचल में तत्तापानी व अन्य स्थानों पर स्नान के लिए मेले लगते हैं। तत्तापानी में हर वर्ष हजारों की भीड़ जुटती है। लोग पहले स्नान करते हैं, फिर खिचड़ी का दान करते हैं। इस दिन तुलादान का भी विशेष महत्त्व है। तत्तापानी में तुलादान के लिए विशेष पंडाल लगे होते हैं। तुलादान में विभिन्न तरह का अनाज, नमक तथा लोहा इत्यादि दान किया जाता है। जितना एक आदमी का भार होता है, उतने ही अनुपात में अनाज, नमक और लोहे का दान करना होता है। दान में कुछ पैसे भी दिए जाते हैं। नहाने, खिचड़ी दान करने तथा तुलादान के बाद ही लोग कुछ खाते हैं। इस दिन तिल से बनी चीजों को विशेष रूप से खाया जाता है। लोगों का विश्वास है कि इस दिन दान करने से आने वाले समय में शुभ लाभ मिलता है। तत्तापानी, शिमला से कुछ किलोमीटर दूर मंडी जिले में पड़ता है। यहां मंडी जिले की सीमा शिमला जिले से लगती है।

इसी तरह प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी स्नान के लिए इस दिन भीड़ जुटती है। जो लोग तीर्थ स्थलों पर नहीं जा पाते हैं, वे नजदीक के छोटे-छोटे तालाबों अथवा नदियों में ही स्नान करके पुण्य कमाते हैं। तत्तापानी में अब आधुनिकीकरण के तहत जल स्रोतों को संवारा गया है। यहां पर अब पहले से बेहतर व्यवस्था की गई है। लोगों के आने-जाने के लिए परिवहन की भी माकूल व्यवस्था की गई है। ऐसा भी माना जाता है कि जो लोग तीर्थ स्थलों के जल स्रोतों की सफाई की तरफ विशेष ध्यान देते हैं, उन्हें अवश्य ही पुण्य की प्राप्ति होती है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App or iOS App