न पानी गर्म मिला, न दिखी ज्यादा भीड़, प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तत्तापानी में ऐसा रहा आलम

आरएल हरनोट—सुन्नी
प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल तत्तापानी में मकर संक्रांति के उपलक्ष्य पर मंगलवार को आशा के अनुरूप भीड़ देखने को नहीं मिली। तत्तापानी अल सुबह नहाने पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि सुबह न तो लोगों की आवाजाही अधिक थी और न ही गर्म पानी के डबोलो में पानी गर्म मिला। पूर्व संध्या को पूरी रात चलने वाला ट्रैफिक भी नदारद रहा। हालांकि दिन चढऩे के साथ लोगों की आवाजाही शुरू हो गई। बावजूद इसके तत्तापानी में मकर संक्रांति पर लाखों की लगने वाली भीड़ हजारों तक सिमट गई।
इस दौरान श्रद्धालुओं को कई अव्यवस्थाओं का भी सामना करना पड़ा। पारंपरिक जिला स्तरीय मकर संक्रांति मेला तत्तापानी के मुख्य आकर्षण प्राकृतिक गर्म पानी के स्रोतों में स्नान करने के लिए श्रद्धालुगण दूरदराज क्षेत्रो से यहां पहुंचते हैं। मकर संक्रांति को सुबह स्नान करना महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए लोग सुबह ही स्नान करने पँहुच जाते हैं। वर्ष 2015 से पूर्व जहां सतलुज नदी के किनारे प्राकृतिक तौर पर गर्म पानी के स्रोतो में स्नान करने के लिए प्रदेश एवं देश के विभिन्न कोनो से श्रद्धालुगण पहुंचते थे। वर्ष 2015 के बाद कोल बांध परियोजना आरंभ होने से विशाल जलाशय बनने पर गर्म पानी के स्रोत इसमें जलमग्न हो गए।
हालांकि सरकार द्वारा बोरिंग कर गर्म पानी श्रद्धालुओ के लिए उपलब्ध करवाया गया, परंतु वह नाकाफी है। पूर्व मेला कमेटी प्रधान बाबूराम ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए बनाए गए स्नानाघर में कोई भी वृद्धि नहीं हुई है, वहीं गर्म पानी को समय-समय पर बोरिंग की जानी आवश्यक है, ताकि अधिक गर्म पानी उपलन्ध हो। स्थानीय निवासी टेक चंद ने कहा कि महिलाओं के लिए बनाया गया पुराना स्नानाघर बंद पड़ा है तथा सफाई व्यवस्था भी माकूल नहीं है। मेले में आई श्रद्धालु सोनू वर्मा ने कहा कि महिलाओं के लिए केवल एक ही स्नानागर मेला स्थल पर बनाया गया, जिसमें महिलाओं की भारी भीड़ रहती है, नहाने के लिए घंटो इंतजार करना पड़ता है, वहीं बीमारी का खतरा भी बना रहता है। रामपुर से आए श्रद्धालु अनुज ने कहा कि तत्तापानी एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है। लोग यहां प्राकृतिक गर्मपानी मे स्नान के लिए आते हंै। नहाने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। नहाने के लिए और डबोले होने चाहिए। बहरहाल, पारंपरिक जिला स्तरीय मेले में लोगों ने तुलादान किया। जल क्रीड़ा में किश्ती, बोटिंग, स्कूबा ड्राइविंग का भी आनंद लिया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में व्यवसायिक एवं स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। मेला स्थल पर विभिन्न प्रकार के लगभग 200 स्टाल लगाए गए हैं, जहां लोग खऱीददारी कर रहे हैं।
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