अब नी रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई आसान, डा. प्रदीप अग्रवाल ने दी जानकारी
शेल्बी हॉस्पिटल के जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी प्रमुख डा. प्रदीप अग्रवाल ने दी जानकारी
निजी संवाददाता-चंडीगढ़
नई रिप्लेसमेंट सर्जरी को लेकर शेल्बी हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक्स एवं जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी प्रमुख डा. प्रदीप अग्रवाल ने कहा की नई रिप्लेसमेंट अब बहुत ही आसान है लेकिन ये रेप्लसेमेन्ट कब करवानी चाहिए यह एक महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने ‘दिव्य हिमाचल’ से खास बातचीत के दौरान बताया कि जब सीवियर नी पेन हो, जो आपकी दिनचर्या को डिस्टर्ब कर रही है, डिफोर्मेड लेग्स एवं चाल जिससे गिरने का डर हो तथा नी रिप्लेसमेंट ऑपरेशन से पहले फिजियोथेरेपी, मेडिसिन एवं इंट्रा आर्टिकुलर ह्यलुरॉनिक एसिड इंजेक्शन ट्राई करने के बाद भी जब समस्या ज्यादा हो जाए तो नी रिप्लेसमेंट ही सॉल्यूशन है। उन्होंने बताया कि गोल्ड नी, ऑक्सीनियम नी, कोबाल्ट क्रोमियम, टाइटेनियम नी तथा पार्शियल नी, नी रिप्लेसमेंट की विभिन किस्में है। डाक्टर प्रदीप अग्रवाल ने आगे बताया कि दोनों घुटने को एक समय में बदल सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वास्तव में या रिसर्फेसिंग ऑपरेशन है जिसमें सिर्फ डैमेज्ड कार्टिलेज को निकाल के बोन्स में हेल्दी मैटेलिक कैप लगाई जाती है। इससे पेन खत्म हो जाता है और मूवमेंट बढिय़ा हो जाता हैं। जिसमें यूनि-कंपार्टमेंट खराब हो उसके लिए यूनि-कंपार्टमेंट नी भी अवेलेबल है। नी इंप्लांट की लाइफ के बारे में उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि आज के समय में नी इंप्लांट की लाइफ 20 से 30 साल तक की औसतन हैं। नी इंप्लांट के बाद घुटने का ख्याल रखने को लेकर उन्होंने कहा कि जमीन पर न बैठें, वजन को नियंत्रण में रखें, अधिक खिंचाव डालने वाली गतिविधि न करें तथा अपने सर्जन से नियमित रूप से कंसल्टेशन लेते रहें। नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपी से बढिय़ा रिकवरी मिलती है।
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