‘ट्रंप युग’ की वापसी
अमरीका ही नहीं, दुनिया भर में आज से ‘टं्रप युग’ का नया आगाज हुआ है। डोनाल्ड टं्रप अमरीका के 47वें राष्ट्रपति बने हैं। वह 131 साल के इतिहास में ‘व्हाइट हाउस’ में लौट कर आने वाले पहले अमरीकी राष्ट्रपति हैं। इस बार टं्रप अधिक ताकतवर राष्ट्रपति साबित होंगे, क्योंकि वह पहले भी राष्ट्रपति रह चुके हैं और इस बार अमरीका के साथ-साथ वैश्विक ब्लूप्रिंट भी उनके सामने है। राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने 100 आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं, ऐसा बताया जा रहा है। यह सुदृढ़ और बुनियादी लोकतंत्र की तस्वीर है कि जिस अमरीकी संसद (कैपिटल हिल) पर उनके समर्थकों ने, टं्रप के पिछला चुनाव हारने के बाद, धावा बोला दिया, आतंक मचाया था, उसी स्थान पर टं्रप और वेंस ने क्रमश: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की। वहीं से राष्ट्र को संबोधित भी किया। यह भी अमरीकी लोकतंत्र का एक और आयाम है कि टं्रप राष्ट्रपति पद की शपथ ले रहे थे, लेकिन एक भीड़ वाशिंगटन की सडक़ों पर थी, जिनके हाथों में पोस्टर, बैनर थे और वे ‘गर्भपात के महिला अधिकार’ और ‘जलवायु परिवर्तन पर अमरीका के सकारात्मक रवैये’ की मांग कर रहे थे। यह एजेंडा कमला हैरिस का था, जिसे उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव का प्रमुख मुद्दा बनाया था। बहरहाल टं्रप की पहली परीक्षा यह होगी कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध पर यथाशीघ्र विराम लगा पाते हैं या नहीं! उन्होंने इजरायल-हमास युद्धविराम पर दोनों पक्षों को चेतावनी जरूर दी है। चीन अमरीका का दुश्मन भी है और प्रतिद्वंद्वी भी है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ‘टं्रप की ताजपोशी’ पर आने की बात कही जा रही थी, लेकिन अब चीन का कोई प्रतिनिधि मौजूद रहेगा। लोकतंत्र और वामपंथी शासन के बीच बुनियादी और वैचारिक विरोधाभास बने रहेंगे, लेकिन शी और टं्रप में संवाद होता, तो संबंधों के नए गलियारे खुल सकते थे। भारत अमरीका का सबसे भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार रहा है, दोनों के बीच कारोबार भी सर्वाधिक है, उसके बावजूद भारत के प्रधानमंत्री मोदी ‘टं्रप के राजतिलक’ में शामिल क्यों नहीं हो पाए, यह एक अहम सवाल है, जिसका जवाब निकट भविष्य में सामने आ सकता है। प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति टं्रप को अपना ‘अंतरंग दोस्त’ मानते रहे हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर का वाशिंगटन जाना तो महज एक औपचारिकता है। राष्ट्रपति टं्रप भारत-समर्थक हैं, यह उनके प्रशासन के फैसलों से भी साफ होता है। उनकी टीम में कई भारतवंशी चेहरे भी हैं। एलन मस्क और विवेक रामास्वामी टं्रप प्रशासन के मुख्य रणनीतिकार हैं और वे भारत-समर्थक माने जाते हैं। बहरहाल टं्रप को इसलिए ज्यादा ताकतवर राष्ट्रपति आंका जा रहा है, क्योंकि सीनेट और प्रतिनिधि सभा अमरीकी कांग्रेस के दोनों सदनों में रिपब्लिकन पार्टी का पर्याप्त बहुमत है। टं्रप अपनी पार्टी के एकतरफा नेता हैं। उन्हें जनादेश भी एकतरफा ही मिला है। सर्वोच्च अदालत में रिपब्लिकन पार्टी की सोच और मानसिकता के कई न्यायाधीश हैं। बहरहाल टं्रप की सफलता की गाथा समय ही लिखेगा। भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण दो खबरें हैं। एक तो एच-1बी वीसा में कमी नहीं होगी। 2024 में अमरीका ने 1.20 लाख एच-1बी वीसा जारी किए, जिनमें से 25,000 के करीब भारतीयों को दिए गए। इस संदर्भ में भारतीय पहले स्थान पर रहे। अमरीकी टेक सेक्टर भारतीय प्रतिभाओं पर ही निर्भर है। एक काला पक्ष यह भी है कि जो करीब 1.10 करोड़ अवैध प्रवासी अमरीका में घुसते हैं, उनमें भारत तीसरे स्थान पर है। राष्ट्रपति टं्रप का सर्वोच्च एजेंडा है कि अवैध घुसपैठियों को अमरीका से खदेड़ा जाएगा। दफ्तरों में छापे मारे जाएंगे। मैक्सिको बॉर्डर पर दीवार बनाने का फैसला लिया जा चुका है। यदि ‘अमरीका फस्र्ट’ नीति के तहत चीन पर टैरिफ 10-15 फीसदी बढ़ाया जाता है, तो उसका फायदा भी भारत को होगा। ‘सप्लाई चेन’ में भारत की भूमिका अहम रहने वाली है। अमरीकी कंपनियां भी निश्चित तौर पर भारत आना शुरू करेंगी।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App or iOS App