फसल में कीटनाशक छिडक़ाव शुरू

पीला रतुआ से फसल पर बना हुआ है संकट, किसानों को सचेत रहने के निर्देश
स्टाफ रिपोर्टर-ऊना
पीला रतुआ जैसी घातक बीमारी कब और कैसे देखते ही देखते गेहूं की फसल को अपनी चपेट में ले लेती है और फसल के बचाव के लिए समय निकलते के बाद किए प्रयासों का कोई मोल नहीं रहता। इन सब चीजों का ध्यान रखते हुए जिला ऊना के किसान पीला रतुआ की खेतों में दस्तक को रोकने के लिए किटनाशकों का छिडक़ाव शुरू कर दिया है। कृषि विभाग ने कृषि प्रधान जिला ऊना के किसानों को पीला रतुआ से गेहूं को बचाने के लिए अपने खेतों में फसल पर नजर बनाए रखने के लिए सचेत किया है। अगर खेतों में पीला रतुआ के फैलने के लक्षण दिखाई देते हैं तो किसान इसकी सूचना खंड कृषि अधिकारी को दें। ताकि मौके का निरीक्षण कर पीला रतुओं को फैलने से रोका जा सके। हालांकि पीला रतुआ फैलने का ज्यादा खतरा फरवरी माह में रहता है। परंतु कई स्थानों पर जनवरी माह में भी पीला रतुआ के मामले देखने को मिल जाते हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला ऊना में 35,514 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल की पैदावार होती है। जहां से प्रति वर्ष किसानों को 80 हजार मीट्रिक टन के करीब गेहूं की पैदावार होती है और करीब 8 लाख क्विंटल पशुचारा (तूड़ी) निकलती है।
फरवरी में ज्यादा खतरा
वहीं,कृषि उपनिदेशक डॉ. कुलभूषण धीमान ने कहा कि पीला रतुआ फैलने का खतरा फरवरी माह में ज्यादा होता है। परंतु किसान अपने-अपने खेतों में नजर बनाए रखें। ताकि इस बीमारी को फैलने से पहले ही रोका जा सके। उन्होंने कहा कि किसान ज्यादा जानकारी के लिए कृषि विभाग के खंड कार्यालयों में भी संपर्क कर सकते हैं।
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