आत्महत्याएं करते छात्र चिंता का विषय
वैसे तो इस दौर में पूरी युवा पीढ़ी ही भयावह मानसिक व्याधि से विचलित है, इनमें विशेषत: छात्र विचलन गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। हमारे देश में प्रति 100 में 15 से अधिक छात्र आत्महत्या से प्रभावित हो रहे हैं। वे अवसाद, चिंता और आत्मघात से पीडि़त पाए जा रहे हैं। कठिन प्रतिस्पर्धा और पढ़ाई-लिखाई में अनुशासन आदि को लेकर तनाव बढ़ रहा है।
उससे न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था से जुड़े लोगों, बल्कि पूरे समाज की चिंता बढ़ती गई है। पारिवारिक दबाव, शैक्षिक तनाव और पढ़ाई में अव्वल आने की महत्त्वाकांक्षा ने छात्रों के एक बड़े वर्ग को गहरे मानसिक अवसाद में डाल दिया है। अभिभावकों के सपनों की उड़ान न भर पाने वाले, परीक्षा में खराब प्रदर्शन करने वाले बच्चों को घर पर पीटना पड़ता है। परीक्षा और नतीजों के दबाव में छात्रों की आत्महत्याएं अब आम घटनाएं बनती जा रही हैं।
-डा. सत्यवान सौरभ, भिवानी
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