उड़ती-उड़ती सी मेरे गांव में इक खबर…

निजी संवाददाता-घुमारवीं
मां शारदे और काले बाबा की मूर्तियों को माल्यार्पण कर कल्याण कला मंच की नियमित मासिक संगोष्ठी औहर स्थित ऐतिहासिक और प्राचीन ठाकुरद्वारा परिसर में स्थानीय पंचायत भवन के सभागार में हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य जीत राम सुमन ने की। विजय कुमारी सहगल ने सरस्वती वंदना की। इसके पश्चात जिला के विभिन्न क्षेत्रों से आए कवियों, साहित्यकारों ने एक से बढक़र एक बेहतरीन प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का आगाज नन्ही शगुन ने किया।
शगुन ने हम पंछी उन्मुक्त गगन के गीत गाकर सबको मोहित कर दिया। बीएल लखनपाल ने मोर मुकुट रंग कालेया वो मन मोह लया कुंडलां वालेया लोकगीत सुनाया। सरस्वती शर्मा ने बड़ा होया निक्का सब्बी जो चढ़ेया चिट्टा, बुद्धि सिंह चंदेल ने आओ मिलकर दुआ करें सब और क्षेत्र की खुशहाली की, कुमारी आशा ने उड़ती उड़ती सी मेरे गांव में इक खबर आई कि यहां वहां सडक़ों का जल बिछ जाएगा, तेज राम तेजस ने मौन भी इक भाषा है बोलते सब है समझ कोई पाता है, श्याम सुंदर सहगल ने अजीब दास्तां है ये कहां शुरू कहां खत्म, अनेक राम सांख्यान ने किसी को प्यार का नशा किसी को हार का, कौशल्या देवी ने मां-बाप के लिए पतवार है बेटा, चिंता भारद्वाज ने इस जग बिच आई के ओ बंदेया तैं क्या लैणा, हुसैन अली ने उसकी नजरों में सब थे वो सब की नजरों में था, कर्मवीर कंडेरा ने लिख दी थी तकदीर अपनी, रविंद्र नाथ भट्टा ने जब कुछ होश संभाला हमने अपने को वन में पाया, अमर नाथ धीमान ने गहरा लोकों झीलां रा पाणी म्हारे ब्लासपुरा, पूजा ने चल मेरी जिंदे नवीं दुनिया बसाणी डूबी गये घर बार, रवींद्र ठाकुर ने जो जो शामिल था साजिश में मुझे सब मालूम है, तृप्ता कौर मुसाफिर ने निकिया जिदां बड़ा साका, रूह है नुरानी जी, पुजा और उसकी सहेलियों ने ओ कान्हा अब तो मुरली की सुना दो तान, सुरेंद्र मिन्हास ने दरयावा पारा ते आई जणेत कई लंघे चौक कई टप्पे गेट, जीत राम सुमन ने इक्क बार मैं सुक्खी जातर संजू, खातर धूप जगाया मत्था टेकया सुना खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम में औहर पंचायत की प्रधान प्रेम लता ठाकुर और उप प्रधान रणजीत वर्धन विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
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