लंबे समय से अनुबंध पर काम कर रहे दैनिक वेतन भोगी होंगे पक्के, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने स्थाई लाभ देने से बचने के लिए दैनिक वेतन अनुबंध पर श्रमिकों को काम पर रखने की प्रथा की कड़ी आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि स्वीकृत पदों पर लंबे समय से कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों को नियुक्तियां केवल उनके प्रारंभिक अस्थाई होने के कारण नियमित रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की पीठ 1998 से 1999 तक गाजियाबाद नगर निगम के बागवानी विभाग द्वारा नियोजित मालियों की अपील पर सुनवाई कर रही थी।
श्रमिकों ने आरोप लगाया कि वर्षों की लगातार सेवा के बावजूद उन्हें नियुक्ति पत्र, न्यूनतम वेतन, वैधानिक लाभ और नौकरी की सुरक्षा से वंचित किया गया। 2005 में, उनकी सेवाएं बिना किसी नोटिस या मुआवजे के अचानक समाप्त कर दी गईं। कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसने केवल उन्हें दैनिक वेतन पर दोबारा काम पर रखने की इजाजत दी थी।
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