गुलियन-बैरे सिंडोम का बढ़ता खतरा, जानिए लक्षण

गुलियन-बैरे सिंड्रोम के कारण कमजोरी, हाथों-पैरों के सुन्न होने या लकवा मार जाने की दिक्कत हो सकती है। हाथों और पैरों में कमजोरी और झुनझुनी आमतौर पर इसके पहले लक्षण होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ जीबीएस की समस्या को मेडिकल इमरजेंसी के तौर पर देखते हैं, जिसमें रोगी को तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है। इलाज न मिलने पर जान जाने का भी खतरा हो सकता है, हालांकि ये दिक्कत क्यों होती है इसका सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। अगर समय पर रोग का इलाज हो जाए तो इससे आसानी से ठीक हो सकते हैं…
गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, अपनी ही तंत्रिकाओं पर अटैक कर देती है। इसके कारण कमजोरी, हाथों-पैरों के सुन्न होने या लकवा मार जाने की दिक्कत हो सकती है। हाथों और पैरों में कमजोरी और झुनझुनी आमतौर पर पहले लक्षण होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ जीबीएस की समस्या को मेडिकल इमरजेंसी के तौर पर देखते हैं, जिसमें रोगी को तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है। इलाज न मिलने पर जान जाने का भी खतरा हो सकता है। दुनियाभर में हर साल लगभग कई लोगों को ये समस्या होती है, हालांकि ये दिक्कत क्यों होती है, इसका सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक गंभीर बीमारी है और यह अचानक होती है, जिसमें नसें सूजने लगती हैं। हमारे शरीर में माइलिन शीट नामक एक परत होती है, जो नसों के सही तरीके से काम करने के लिए जरूरी होती है। इस सिंड्रोम के कारण डिमाइलिनेशन होने लगता है, क्योंकि हमारा इम्यून सिस्टम नसों की उस सुरक्षात्मक परत पर हमला करना शुरू कर देता है। हमें बीमारियों से बचाने का काम करने वाला इम्यून सिस्टम हमारी माइलिन शीट पर हमला करता है। इससे कई नसें प्रभावित होती हैं, इसीलिए इसे एआईडीपी भी कहते हैं।
क्या है गुलियन-बैरे सिंड्रोम
गुलियन-बैरे सिंड्रोम बीमारी तब होती है, जब बैक्टीरिया और वायरस की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता शरीर को बचाने के लिए सक्रिय होती है। यह ऑटोइम्यून बीमारी में प्रतिरोधक क्षमता शरीर के तंत्रिका तंत्र पर ही हमला करना शुरू कर देती है।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के क्या लक्षण होते हैं
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षणों की बात करें, तो सबसे पहले पैरों में कमजोरी शुरू होती है। यह कमजोरी शरीर में ऊपर की ओर बढ़ती है। सर्दी, खांसी या डायरिया जैसे किसी भी वायरल संक्रमण से यह शुरू हो सकता है। किसी भी सर्जरी और वैक्सीन से यह सिंड्रोम हो सकता है। जिसके बाद हमारा इम्यून सिस्टम हमारे ही शरीर पर हमला करता है। इसके लक्षण तेजी से फैलते हैं। हालांकि, अच्छी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में, हफ्ते के अंदर चीजें स्थिर हो जाती हैं। लेकिन 20 फीसदी मामलों में मरीज को वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ती है। हाथ और पैर की अंगुलियों, टखनों या कलाई में सूई चुभने जैसा एहसास। पैरों में कमजोरी जो शरीर के ऊपरी हिस्से तक फैल सकती है। चलने में असमर्थ होना। बोलने, चबाने या निगलने में परेशानी होना। पेशाब पर नियंत्रण न रह जाना या हृदय गति का बहुत बढ़ जाना, शरीर का संतुलन खोना, कमजोर नजर इसके लक्ष्ण होते हैं।
आखिर क्यों होती है ये बीमारी
गुलियन-बैरे सिंड्रोम क्यों होता है, इसका सटीक कारण ज्ञात नहीं है। कुछ लोगों में हाल ही में हुई सर्जरी या टीकाकरण के बाद भी इसके मामले देखे जा सकते हैं। गुलियन-बैरे सिंड्रोम में, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (जो आमतौर पर केवल बाहरी हानिकारक तत्त्वों पर हमला करती है) वह नसों पर अटैक करना शुरू कर देती है। इससे नसों का सुरक्षात्मक आवरण क्षतिग्रस्त हो जाता है। यह क्षति नसों को आपके मस्तिष्क तक संकेत भेजने में दिक्कत डाल सकती है जिसके कारण कई तरह की जटिलताएं होने लगती हैं।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम का इलाज
गुलियन-बैरे सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है, लेकिन सहायक उपचारों से रिकवरी में तेजी और लक्षणों में कमी आ सकती है। प्लाजमा थैरेपी और इम्यूनोग्लोबिन थैरेपी की मदद से इसका इलाज किया जाता रहा है। डाक्टर कहते हैं, इस रोग से बचाव के लिए कोई ज्ञात तरीका नहीं है, हालांकि गुड हाइजीन का पालन करके इस तरह की समस्याओं के खतरे को कम किया जा सकता है। अपने हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखें, किसी भी सतह को छूने से बचें या छूने के बाद अपने हाथ जरूर धोएं।
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