साहिल कुमार—सुलाह
Jaladhari Mandir kangra Himachal Pradesh: देवभूमि हिमाचल प्रदेश जिसके कण कण में देवता विराजते हैं। उसी धरा पर देवों के देव महादेव के कई ऐसे स्थान हैं, जहां साक्षात शिव विराजते हैं, जहां भगवान शिव से जुड़े पौराणिक किस्से घटे हैं। आज हम आपको भगवान शिव के ऐसे ही चमत्कारी, रहस्यमय मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर आप भी कहेंगे, यही शिव धाम है।
जिला कांगड़ा के सुलाह विधानसभा क्षेत्र में एक ऐसा मंदिर है, जो कि जलाधारी महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर के अंदर शिवलिंग पर हमेशा जलाभिषेक होता है, इसलिए इसे जलाधारी महादेव के नाम से जाना जाता है। इस शिवलिंग के ऊपर शेष नाग और गाय के थनों की आकृतियां बनी हुई हैं। यह शिवलिंग एक गुफा में मौजूद है। इस शिवलिंग तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है? यहां महाकाल को साक्षात देखा जा सकता है। शेषनाग के प्रमाण भी यहां पर मिलते हैं।
Jaladhari Mandir kangra Himachal Pradesh
यह है मंदिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास पर नजर डालें तो- मंदिर के पुजारी ने बताया कि मान्यता है कि इस पहाड़ी में शिव मंदिर था। जिस पर महादेव के ऊपर कुदरती रूप से 24 घंटे दूध की धारा बहती रहती थी, लेकिन एक दिन इस जगह पर कुछ चरवाहे ठहरे हुए थे। ऐसे में एक चरवाहा जो की खनियारा का रहने वाला था। स्लेटों का व्यापार किया करता था। कहा जाता है कि जब वह अपने साथियों के साथ यहां ठहरे, तो उन्होंने दूध की धारा से दूध लेकर खीर बना ली थी। और फिर दो-तीन दिन बिना शुद्धता के ही दूध का प्रयोग किया गया। उसके बाद से ही महादेव पर कुदरती रूप से चढऩे वाला दूध जल में परिवर्तित हो गया। तब से इस मंदिर का नाम जलाधारी बाबा के रुप में मशहूर हो गया।
मां से रखा पर्दा, पत्नी को बता दी सारी कहानी
इस मंदिर पर समय समय पर कई चमत्कार भी हुए हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार-गांव में एक श्यामू नाम का युवक हुआ करता था, जो कि अपने पशुओं को चराने आया करता था। एक दिन वह अपने पशुओं को चरा रहा था कि उसे एक जंगली जानवर (शैल) दिखाई दी, जिसे पकडऩे या शिकार करने के लिए के लिए श्यामू उसके पीछे भागा, लेकिन जानवर गुफा में जा घुसा, जिसके पीछे-पीछे चरवाहा भी गुफा में चला गया। शिव और शिवलिंग दर्शन के बाद चरवाहे ने कहा कि महादेव मैं अब आपकी शरण में रहूंगा। चार साल बाद उसने महादेव से अपने घर जाने की इजाजत मांगी। महादेव ने इजाजत देने के बाद एक शर्त रखी कि अगर तुमने इस स्थान के बारे में किसी को बताया तो तुम्हारी मौत हो जाएगी।
इसके बाद चरवाहा घर लौट आया, लेकिन विधि का विधान, तो देखिए जिस दिन श्यामू अपने घर वापस पंहुचा। उसी दिन उसके घर में उसका चतुर्थ वार्षिक श्राद्ध लगा हुआ था। तभी उसके परिवार वाले व रिश्तेदार श्यामू को जीवित देख कर हैरान हो गए, जो कि उसे मृत घोषित कर चुके थे। और उसका श्राद्ध कर रहे थे। तभी वह अपने परिवार से मिला। उसने देखा कि उसकी मां उसके वियोग में अंधी हो गई है। इस दौरान जैसे ही उसने मां के सर पर हाथ रखा, तो उसकी आंखों की रोशनी लौट आई, लेकिन उसने इस राज के बारे में किसी को नहीं बताया। और अपने दिल में ही रखा, लेकिन एक दिन पत्नी के बार-बार पूछने पर चरवाहे ने सारी कहानी बता दी। इसके बाद उसकी मौत हो गई। इसके बाद लोगों को इस गुफा के बारे में पता चला और यहां भक्तों की आवाजाही बढ़ गई। माना जाता है कि शिव के आदेश के अनुसार शेषनाग ने गुफा का मुख छोटा कर दिया है। इस कारण अंदर प्रवेश करना काफी मुश्किल होता है।
ऐसे पहुंचे मंदिर
यह मंदिर राष्ट्रीय उच्च मार्ग 154 स्थित नाल्टी पुल से 22 किलोमीटर दूर पंचायत क्यारवां में है, जो जलाधारी के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर को जाने के लिए ठाकुरद्वारा-भवारना-नागनी-पुढ़वा से होते हुए भी पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा वाया सुलाह-ननाओं-कुरल से होते हुए भी जा सकते हैं।