BBMB एरियर पर अटॉर्नी जनरल को आखिरी चांस

By: Feb 7th, 2025 12:08 am

मध्यस्थता करने के लिए पंजाब और हरियाणा के साथ होगी निर्णायक बैठक

राज्य ब्यूरो प्रमुख — शिमला

भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड यानी बीबीएमबी से मिलने वाले एरियर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल (एजी) को आखिरी मौका दिया है। यह मौका हिमाचल, पंजाब और हरियाणा के बीच मध्यस्थता के लिए है। हिमाचल के आग्रह पर एरियर भुगतान के फार्मूले पर बहस के लिए चार मार्च, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख भी तय कर दी है। इस पेशी से पहले अटॉर्नी जनरल राज्यों के बीच बैठक करेंगे और रिपोर्ट देंगे। पंजाब और हरियाणा को बीबीएमबी में वर्ष 1966 से 2011 के बीच एरियर के तौर पर 13066 मिलियन यूनिट्स बिजली का भुगतान करना है। यह भुगतान अगले 15 साल में होगा यानी हर साल 871 मिलियन यूनिट बिजली हिमाचल को अतिरिक्त मिलेगी। इसमें से पंजाब की बिजली 511 मिलियन यूनिट वार्षिक और हरियाणा की बिजली 360 मिलियन यूनिट प्रतिवर्ष है। सुप्रीम कोर्ट 2011 में हिमाचल के पक्ष में डिक्री घोषित कर चुका है, लेकिन भुगतान के फार्मूले पर सहमति बनाने के बजाय पंजाब और हरियाणा इस नए-नए बहाने बनाकर उलझा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में सीनियर एडवोकेट एके गांगुली उपस्थित हुए, जबकि राज्य के एडवोकेट जनरल भी इस दौरान मौजूद थे।

हिमाचल में सुप्रीम कोर्ट के सामने आग्रह किया कि दोनों राज्य सिर्फ भुगतान को टाल रहे हैं, जिससे हिमाचल को उसका हक नहीं मिल रहा है, इसीलिए इस मामले में अब आरग्युमेंट करवाया जाएं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को मीडिएशन का आखिरी मौका देते हुए रिपोर्ट जमा करवाने को कहा है और यह रिपोर्ट चार मार्च, 2025 को तय हुई सुनवाई से पहले जमा करवानी होगी। गौरतलब है कि एरियर की इस बिजली के लिए हिमाचल पहले ही कह चुका है कि वह इसके लिए बीबीएमबी द्वारा कैलकुलेट किए गए एनर्जी चार्ज भी देने को तैयार हैं। हिमाचल का तर्क है कि ओल्ड हिमाचल को पहले दी गई 1.2 लाख यूनिट बिजली 7.19 फीसदी हिस्सेदारी का हिस्सा नहीं है, क्योंकि यह ट्रांसफर टेरिटरी से संबंधित नहीं है। हिमाचल ने बीबीएमबी के उस तर्क को भी खारिज कर दिया है, जिसमें कैपिटल कॉस्ट शेयर करने की मांग की गई थी। हिमाचल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि भारत सरकार ने 2013 में कोर्ट में जो हलफनामा दिया है, उसमें कैपिटल कॉस्ट, रिनोवेशन और अपग्रेडिंग कास्ट के साथ ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस चार्ज भी शामिल कर लिए हैं।

हिमाचल प्रदेश को इन बिजली प्रोजेक्टों से मिलना है एरियर

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार भाखड़ा डैम से वर्ष 1966 से 2011 तक, डैहर पावर हाउस से 1977 से 2011 तक और पोंग डैम से 1978 से 2011 तक बिजली का एरियर हिमाचल को मिलना है। यह एरियर 7.19 फीसदी हिमाचल की हिस्सेदारी के हिसाब से तय हुआ है। इसमें से पंजाब को 60 फीसदी और हरियाणा को 40 फीसदी भुगतान करना है। सुप्रीम कोर्ट में फैसला होने के बावजूद 13 साल से यह मामला सेटल नहीं हुआ है। अब सुप्रीम कोर्ट में मामला आखिरी स्टेज पर पहुंचा है।


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