विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने के फैसले का विरोध
अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संगठन ने भोजन अवकाश के दौरान किया प्रदर्शन
सिटी रिपोर्टर—शिमला
केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश किए बजट में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश सीमा को मौजूद 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की घोषणा की गई है, जिसके खिलाफ अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संगठन ने कड़ा विरोध किया है। मंगलवार को पूरे भारत में सभी शाखा कर्मचारियों ने भोजन अवकाश के दौरान सरकार के इस जनविरोधी फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। शिमला मंडल सचिव प्रदीप मिन्हास तथा अहमदा साथी सुभाष भट्ट ने कहा कि 1999 में आई आरडीए निधेयक पारित होने के साथ ही देशी व विदेशी बीमा व्यवसाय को 26.10 सीमा से शुरू किया गया था, जिसे बाद में 74 प्रतिशत तक कर दिया गया, जिसे अब सरकार 100 प्रतिशत करने का फैसला ले रही है, जोकि घरेलू बीमा कंपनियों, राष्ट्रीयकृत बीमा तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी होगा।
बीमा क्षेत्र में पिछले वर्ष 31 मार्च को इक्विटी का स्तर 31365.57 करोड़ है, जो 74 प्रतिशत की स्वीकार्य सीमा के मुकाबले केवल 32.67 प्रतिशत है। फिर विदेशी पूंजी की पूर्ण स्वतंत्रता देश के विकास की मुख्य आधार घरेलू बचतों को गंभीर खतरा पहुंचाएगी, क्योंकि राष्ट्रीयकृत बीमा क्षेत्र में जनता का आम पैसा देश के विकास में लगता है। बीमा क्षेत्र में नीजि कंपनियों के प्रवेश के 25 वर्षों का अनुभव बताता है कि इन कंपनियों ने देश के विकास में कोई पैसा नहीं लगता, बल्कि जनता के पैसों से अवश्य ही धोखाधडिय़ां की हैं। उन्होने कहा कि अगर सरकार इस घातक जनविरोधी व देश की अर्थव्यवस्था विरोधी फैसले को वापस नहीं लेती है तो संघर्ष को तीव्र किया जाएगा।
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