टॉयलेट जाने पर देना होगा हज़ारों का फाइन, टॉयलेट जाने को मिलेंगे मात्र 2 मिनट, कंपनी ने फिक्स की Toilet की timing
सोचिए, किसी को वॉशरूम जाना हो और उन्हें सिर्फ दो मिनट दिए जाएं, तो यह गलत होगा, जी हाँ, चीन की एक कंपनी ने प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और कार्यस्थल अनुशासन में सुधार लाने के इरादे से कर्मचारियों के लिए अजीबोगरीब ‘टॉयलेट रूल’ लागू किया, लेकिन कंपनी के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल हुआ ।
पड़ोसी मुल्क चीन से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे सुनकर लोग दंग रह गए हैं। यहां की एक कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए अजीबोगरीब ‘2 मिनट टॉयलेट रूल’ लागू कर दिया, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल हुआ और कंपनी की खूब आलोचना हुई। सोचिए, ऑफिस में किसी को वॉशरूम जाना हो और उन्हें सिर्फ दो मिनट दिए जाएं, यह तो सीधे-सीधे अमानवीय है। ऊपर से CCTV से कर्मचारियों पर नजर रखना और नियम उल्लंघन पर भारी जुर्माना वसूलना तो और भी ज्यादा अन्यायपूर्ण है। गुआंगडोंग के फोशान स्थित थ्री ब्रदर्स मशीन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने दो मिनट का ऊटपटांग टॉयलेट ब्रेक रूल लागू कर दिया। कंपनी ने एक प्राचीन चिकित्सा ग्रंथ का हवाला देते हुए तर्क दिया कि यह दिशानिर्देश कर्मचारियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ही दिया गया है। इसके अलावा नए रूल का मकसद कार्यकुशलता और कार्यस्थल अनुशासन में सुधार लाना भी है।
कंपनी के नई पॉलिसी के अनुसार, कर्मचारियों को सुबह 8 बजे से पहले, सुबह 10:30 से 10 बजकर 40 मिनट तक, दोपहर 12 बजे से 1:30 बजे के बीच, दोपहर 3:30 से 3 बजकर 40 मिनट तक और शाम 5:30 से 6 बजे तक टॉयलेट जाने की परमिशन है, लेकिन वो भी सिर्फ दो मिनट के लिए। अगर तय समयसीमा से विपरीत किसी को जाना हो, तो उसके लिए HR से परमिशन लेनी पड़ेगी।
साथ ही अगर किसी ने इसका उल्लंघन किया तो उसके साथ क्या होगा वो भी आपको बताते हैं
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, नियम न टूटे इसलिए कंपनी कैमरे से कर्मचारियों पर नजर रखेगी और रूल तोड़ने वालों पर 100 युआन यानि भारतीय करेंसी के अनुसार लगभग 1200 रुपये का फाइन देना होगा । आपको बता दे की इसे 11 फरवरी को पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया था और कंपनी की ओर से 1 मार्च से सख्ती बरतने की बात कही गई थी हालांकि, कंपनी के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल हुआ। जिसके बाद कंपनी को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। लोगों का कहना था कि यह फैसला न केवल अनैतिक है, बल्कि कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।