तांदी में दो परिवार बेघर

अग्निकांड से हर शख्स की आंखें नम
बालकृष्ण शर्मा-सैंज
सैंज के तांदी गांव में सोमवार देर शाम हुए भीषण अग्निकांड में गांव के हर एक व्यक्ति की आंखों में जहां आंसू हैं वहीं गांव की फिजा में एक सन्नाटा पसरा हुआ है। स्थानीय ग्रामीणों को समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या करेंगे। बिना छत कैसे सर्द रातें काटेंगे। जहां आग हैए वहां लोग राख में कुछ बची हुई वस्तुओं को तलाश करने की कोशिश कर रहे हैं किंतु राख के सिवा कुछ नहीं मिल पा रहा है। आग ने ऐसा तांडव मचाया कि तन के कपड़े भी नहीं बच पाए। सहमे हुए ग्रामीणों ने अग्निकांड हादसे में अपनी आंखों के सामने तीन मकानों को खंडहर में बदलते देखा। अग्निकांड के बाद ग्रामीण सहमे हुए हैं। तांदी गांव के उत्तमचंद व दिलीप सिंह ने कभी सोचा नहीं था कि जिंदगी भर की पूंजी से बने उनके आशियाने पलक झपकते ही खाक हो जाएंगे। हालांकि गांव के लिए जीप योग्य सडक़ तो है लेकिन रोड चौड़ा ना होने के चलते फायर ब्रिगेड की बड़ी गाड़ी नहीं पहुंच पाई।
अग्निकांड से प्रभावित ग्रामीण दिलीप ठाकुर का कहना है कि उनकी जीवन भर की पूंजी पर न जाने किसकी नजर लगी है। लघु उद्योग की मशीनरी अग्निकांड की भेंट चढ़ी है। गौरतलब है कि सैंज की धाऊगी पंचायत के तांदी गांव में सोमवार देर शाम हुए अग्निकांड में दो परिवारों को आग ने किसी काम का नहीं छोड़ा है। ग्राम पंचायत धाऊगी के पूर्व प्रधान मोहर सिंह ठाकुर ने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से आग को आगे बढऩे से रोक दिया बरना पूरा गांव आग की आगोश में समा जाता। अग्निशमन दल से पहले ग्रामीणों के सहयोग से पानी मिट्टी डालकर आग को बुझाने में इलाके के लोगों ने सहयोग दिया, लेकिन दो रिहाईशी मकानों को नहीं बचाया जा सका जिसका उन्हें मलाल है। बहरहाल तांदी गांव में ग्रामीणों को सर्द रातों में मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है । एचडीएम
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