इच्छा शक्ति कैसे बढ़ाएं

श्रीश्री रवि शंकर
इसलिए अपना शौर्य बढ़ाओ अथवा किसी चीज को हृदय से प्रेम करो। किसी उद्देश्य के प्रति कटिबद्धता, भय अथवा लोभ से हमारी इच्छा शक्ति में वृद्धि हो सकती है…
हम यह तो जानते हैं कि क्या सही है और क्या हमारे लिए अच्छा है। किंतु हमें प्राय: ऐसा लगता है कि हमारे अंदर उसको क्रियान्वित करने की इच्छा शक्ति नहीं है। अब सोचो यदि आपके अंदर इच्छा शक्ति नहीं होती, तो आप यह लेख पढ़ भी नहीं रहे होते कि इच्छा शक्ति कैसे बढ़ाई जा सकती है। आपके द्वारा अपने प्रत्येक विचार के अनुसार किया गया कार्य यह दर्शाता है कि आपके भीतर कुछ तो इच्छा शक्ति है। उदाहरण के लिए मान लीजिए आपके अंदर एक विचार उठा कि मैं उठ कर दूसरे कमरे में जाऊं और आप ऐसा कर देते हो। यह स्पष्टत: इच्छा शक्ति को ही दर्शाता है। इच्छा शक्ति बिलकुल न हो, ऐसा होना असंभव है। हो सकता है कुछ चीजें आपकी सोच के अनुसार न हो रही हों क्योंकि आपके मन में पड़ी हुई कोई आदत अथवा कोई लालसा ऐसा न होने दे रही हो। तब आपको लगता है कि मुझ में इच्छा शक्ति नहीं है। परंतु यह सत्य है कि जहां कोई इच्छा है, वहां शक्ति भी है। जब आप यह कहते हो कि आपके अंदर इच्छा शक्ति नहीं है, तो इसका अर्थ यह है कि आपने अपने हाथ पहले ही खड़े कर दिए हैं। आपने अपने माथे पर यह लेबल लगा लिया है कि आप निर्बल हैं। इस सोच की जगह आप अपने भीतर शौर्य जगाएं। शपथ लें, जब भी आपको शक्ति की आवश्यकता होती है, आपके अंदर वह सब शक्ति पड़ी हुई है। आपके अंदर अत्यधिक बल और भरपूर शक्ति है ही। मान लो, कोई आपसे कहे कि यदि आप लगातार तीस दिन तक प्राणायाम करो तो आपको दस लाख रुपए मिलेंगे, तो आप एक दिन भी इस अभ्यास में नहीं चूकोगे। आप अपना भोजन और नींद तो त्याग दोगे किंतु प्राणायाम करना नहीं भूलोगे। इस प्रकार कोई लालच भी हमारी शक्ति को सामने ला सकता है।
इसी प्रकार भय भी, यदि कोई आपसे कहे कि अगर आप प्राणायाम नहीं करोगे तो आप बीमार पड़ जाओगे, तो भी आप इसको नहीं छोड़ोगे। अत: प्रेम, भय तथा लालच, हमारी इच्छा शक्ति बढ़ाने के लिए अच्छे हैं। जब आपको लगता है कि अमुक चीज का महत्त्व, उसकी अहमियत आपकी आदत से अधिक है तो वह आदत अपने आप छूट जाती है। इसी प्रकार किसी बड़े उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता होने से लघु और गौण आकर्षणों को त्यागा जा सकता है। केवल बौद्धिकता की दृष्टि से यह जान लेना कि हमारे लिए क्या उचित है और क्या करना चाहिए, हम अकसर उसे हल्के में ले लेते हैं। इस अवस्था में हम अपनी आरामदायक स्थिति में ही रहना पसंद करते हैं। ऐसे में हमारी इच्छा शक्ति कम हो जाती है। इसलिए अपना शौर्य बढ़ाओ अथवा किसी चीज को हृदय से प्रेम करो। किसी उद्देश्य के प्रति कटिबद्धता, भय अथवा लोभ से हमारी इच्छा शक्ति में वृद्धि हो सकती है। प्राय: अहंकारी लोगों में शौर्य और वीरता अधिक पाई जाती है। उनको आलस्य से निकाल कर किसी उद्देश्य के प्रति कटिबद्ध, अपेक्षाकृत आसानी से किया जा सकता है। जिन लोगों में अहंकार नहीं होता या बहुत कम होता है, उनमें प्रेम और समर्पण की भावना प्रचुर मात्रा में होती है। उनके लिए इच्छा शक्ति विकसित करना अपेक्षाकृत सुगम होता है।
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