मजबूत घरेलू मांग की नई अहमियत
हर देश चाहता है कि उसके साथ विशेष व्यवहार किया जाए। हमें उसी रास्ते पर चलना होगा तथा देश की मजबूत घरेलू मांग और मध्यम वर्ग की चमकती हुई क्रय शक्ति का आधार बनाकर दुनिया के विभिन्न देशों के साथ आर्थिक और कारोबारी संबंधों को नई दिशा देना होगी। नि:संदेह ट्रंप की टैरिफ संबंधी नई चुनौतियों के बीच भारतीय नीति निर्माताओं के द्वारा ट्रंप प्रशासन की नीतियों से भारत पर होने वाले प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभावों का सतत मूल्यांकन करते हुए मजबूत घरेलू मांग की ताकत के आधार पर रणनीतिक रूप से आगे बढऩा होगा…
यकीनन इस समय जब अमरीकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप की टैरिफ मार से बचने के लिए दुनिया के देश अलग-अलग रणनीतियां अपना रहे हैं, ऐसे में ट्रंप के टैरिफ की मार से मुकाबला करने के लिए भारत की मजबूत घरेलू मांग भारत के लिए एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरकर दिखाई दे रही है। निश्चित रूप से इस समय देश के उपभोक्ता बाजारों में तेजी से बढ़ती खपत भारत के लिए ट्रंप के टैरिफ से जंग में मजबूत हथियार है। हाल ही में 27 फरवरी को डेलॉयट इंडिया और रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के द्वारा जारी इंडियाज डिस्क्रेशनेरी स्पेंड इवॉल्यूशन रिपोर्ट के मुताबिक भारत का उपभोक्ता बाजार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा है। भारत के उपभोक्ता बाजार में जो निजी खपत वर्ष 2013 में 87 लाख करोड़ रुपए मूल्य की थी, वह वर्ष 2024 में दोगुनी से भी अधिक 183 लाख करोड़ रुपए से ऊपर निकल गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2026 में भारत तेजी से बढ़ती खपत के कारण दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन जाएगा। नि:संदेह देश के उपभोक्ता बाजार को देश का मध्यम वर्ग नई आर्थिक ताकत दे रहा है। देश में आर्थिक सुधारों के साथ ऊंची विकास दर और शहरीकरण की ऊंची वृद्धि दर के बलबूते भारत में मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। हाल ही में प्रकाशित द राइज ऑफ मिडल क्लास इंडिया नामक डॉक्यूमेंट के मुताबिक भारत के मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या तेजी से बढक़र 2020-21 में लगभग 43 करोड़ हो गई है और 2047 तक यह संख्या बढक़र 102 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
इस वर्ग को 5 लाख से 30 लाख रुपए की वार्षिक आय वाले परिवारों के रूप में परिभाषित किया गया है। रिसर्च फर्म कांतार की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2030 तक सालाना 10 हजार डॉलर से अधिक आय वाले भारतीयों की संख्या तीन गुना हो जाएगी। यह 2024 में लगभग 6 करोड़ थी, जो 2030 तक 16.5 करोड़ होगी। निश्चित रूप से नए टैरिफ युद्ध की बढ़ती आशंकाओं के बीच भारत का मध्यम वर्ग भारतीय अर्थव्यवस्था की नई शक्ति बन गया है। भारत के मध्यम वर्ग की मुठ्ठियों में बढ़ती क्रय शक्ति और जेन जी एवं मिलेनियल्स की आंखों में उपभोग और खुशहाली के जो सपने दिखाई दे रहे, उनके कारण जहां दुनिया के कई देश भारत से आर्थिक और कारोबारी संबंध बढ़ाने के लिए तत्पर हैं, वहीं दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने नामी ब्रांडों के साथ भारत के बहुआयामी उपभोक्ता बाजार में नई रणनीतियों के साथ दस्तक दे रही हैं। वैश्विक खुदरा सेवाओं से जुड़ी कंपनियां भारत में तेजी से पैर पसार रही हैं। प्रौद्योगिकी लेकर परिधान, सौंदर्य, फैशन और मनोरंजन क्षेत्र के दिग्गज ब्रांड अब भारत के बड़े महानगरों से होते हुए टियर-2 और टियर-3 शहरों की तरफ बढ़ चले हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत घरेलू मांग की मजबूती से दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। पिछले 10 वर्षों में खपत बढऩे की दर सबसे अधिक भारत में ही रही है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.2 फीसदी रही है। भारत की यह विकास दर चीन, अमरीका, इंडोनेशिया, ब्राजील जैसे तमाम विकसित व विकासशील देशों की तुलना में अधिक है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में 27 फरवरी को वल्र्ड बैंक ने अपनी ‘ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स’ रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था को निवेश और खपत के मद्देनजर दुनिया की सबसे तेजी से बढऩे वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बताया है। वल्र्ड बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कोउमे ने कहा कि अगर कोई भारत के आर्थिक आंकड़ों से चिंतित है, तो हम कहना चाहेंगे कि चिंता न करें। भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक चमकता सितारा है। भारत सरकार की नीतियों से बढ़ती खपत और बढ़ते निवेश भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं। चूंकि घरेलू मांग और खपत भारत की शक्ति है, अतएव निश्चित रूप से एक अप्रैल 2025 से प्रभावी होने वाला वित्त वर्ष 2025-26 का बजट करदाताओं, निवेशकों तथा मध्यम वर्ग की खरीदी की क्षमता बढ़ाते हुए दिखाई दे रहा है। वित्तमंत्री के द्वारा टैक्स में कटौती और टैक्स ढांचे को आसान बनाकर खर्चों और सेविंग्स को बढ़ाने की कोशिश इस बजट में दिखाई दी है। वित्तमंत्री ने मजबूत वित्तीय मुठ्ठी से आयकर के नए टैक्स रिजीम की व्यवस्थाओं के तहत करदाताओं को अभूतपूर्व राहतों से लाभान्वित किया गया है।
नई टैक्स रिजीम के तहत आयकर स्लैब में बड़ा बदलाव है ताकि अधिक से अधिक करदाता इसे अपनाने के लिए प्रेरित हों। वित्तमंत्री ने नए बजट के तहत न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब में बदलाव और अतिरिक्त रिबेट की घोषणा की, जिसके तहत 12 लाख रुपए तक की आमदनी पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा। निश्चित रूप से इस बजट से सरकार लंबे समय से लंबित मध्यम वर्ग की आर्थिक वित्तीय शिकायतों का समाधान करते हुए आर्थिक वृद्धि की गति को फिर से तेज कर उपयुक्त कर राहत से एक अच्छा आर्थिक चक्र करने की डगर पर आगे बढ़ी हैं। निश्चित रूप से मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम करने से खपत बढ़ेगी। इससे जीएसटी संग्रह में वृद्धि होगी और कर योग्य आय वालों का आधार बढ़ेगा। नि:संदेह इस समय जब ट्रंप के टैरिफ वार की आशंका से दुनिया में बहुत तेजी के साथ आर्थिक और कारोबारी उठापटक चल रही है, तब दुनिया में होते इस बदलाव के मद्देनजर हमें भी भारत के आर्थिक और कारोबारी हितों को सबसे पहले और सबसे ऊपर रखना होगा।
इस समय वैश्विक व्यापार नए सिरे से दोबारा स्थापित होने जा रहा है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) अब मुख्य स्तम्भ के रूप में नहीं बचा है और सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे के तहत गैर-भेदभावपूर्ण शुल्क खत्म हो रहे हैं। हर देश चाहता है कि उसके साथ विशेष व्यवहार किया जाए। हमें उसी रास्ते पर चलना होगा तथा देश की मजबूत घरेलू मांग और मध्यम वर्ग की चमकती हुई क्रय शक्ति का आधार बनाकर दुनिया के विभिन्न देशों के साथ आर्थिक और कारोबारी संबंधों को नई दिशा देना होगी। नि:संदेह ट्रंप की टैरिफ संबंधी नई चुनौतियों के बीच भारतीय नीति निर्माताओं के द्वारा ट्रंप प्रशासन की नीतियों से भारत पर होने वाले प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभावों का सतत मूल्यांकन करते हुए मजबूत घरेलू मांग की ताकत के आधार पर रणनीतिक रूप से आगे बढऩा होगा। चूंकि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है और 2047 तक विकसित भारत के लिए 7.8 फीसदी विकास दर पाने का लक्ष्य है, ऐसे में भारत को भारतीय बाजार में तेजी से खपत बढ़ाने की रणनीति के साथ अमरीका से टैरिफ मार के मुकाबले के लिए सुनियोजित रूप से आगे बढऩा होगा। तभी हम सफल होंगे।
डा. जयंती लाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री
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