हिमाचल के यह अधिकारी हैं कमाल के, क्लर्क भर्ती हुए और फिर बने फाइनांस कंट्रोलर, गरीबी से लड़कर हासिल किया मुकाम, वित्तीय प्रबंधन में हासिल है महारत, जानिए सुरेंद्रनाथ गंडोत्रा का रोमांचक और प्रेरक संघर्ष
हिमाचल प्रदेश कहने को एक छोटा सा राज्य है। लेकिन यहां के लोगों ने विषम परिस्थितियों के बाद भी अपनी प्रतिभा के दम पर प्रदेश के नाम को विश्व पटल पर चमकाया है। आज हर क्षेत्र में आपको हिमाचल के लोग मिल जाएंगें। मल्टी नेश्नल कंपनियों से लेकर इसरो तक हिमाचल के लोग पहुंचे हैं। कुछ लोगो राज्य के बाहर रहकर प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे हैं तो कुछ लोगों ने प्रदेश में रहकर ही ऐसा काम किया जिस पर सबकों गर्व हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी निजी जिंदगी से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक सब कुछ ऐसा है जिससे आज की युवा पीढ़ी को काफी सीखने को मिल सकता है। जिन्होनें कलर्क से करियर की शुरूआत की और कंट्रोलर तक का सफर तय किया है। और यहीं नहीं इस प्रदेश ने भी उन्हें खूब मान दिया। हम बात कर रहे हैं पडोह के सुरेन्द्र नाथ गंडोत्रा की, यह वित्त विशेषज्ञ तो हैं ही लेकिन साथ ही दुसरो अधिकारियों को प्रशिक्षित करने का काम भी करते हैं। पंचायती राज अधिनियम के भी माहिर है। इन्होंने हिपपा में आला अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ-साथ पंचायती राज जनप्रतिनिधियों को प्रक्षिशित भी किया है। हालांकि जिस मुकाम पर ये पहुंचे वहां पहुंचना आसान नहीं था।
चार बच्चों के पिता सुरेंद्रनाथ गंडोत्रा का जीवन बहुत ही संघर्ष भरा रहा। इनका जन्म 29 सितंबर 1949 को पंजाब में हुआ मगर समुचा जीवन हिमाचल के ऊंचे पहाड़ों के बीच काटा। वह प्रदेश का सबसे कठिन दौर था जब हिमाचल प्रदेश में अपना विश्वविद्यालय तक नहीं था। शिक्षा पाने के लिए कई मील दूर जाना पड़ता था। इन्होंने मैट्रिक की परिक्षा कांगडा के नूरपुर से और हायर सेकंडरी कुल्लू से की। यहीं से शिक्षा विभाग में क्लर्क के रूप में अपनी सरकारी सेवाएं आरम्भ की और फिर पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में बतौर कन्ट्रोलर पद से साल 2007 में सेवानिवृत्त हुए। सरकारी सेवा काल में ही इन्होंने स्टेट अकाउंट्स सर्विसेज एग्जाम उत्तीर्ण किया और यहीं से सुरेन्द्र नाथ गंडोत्रा को नयी पहचान एस एन गंडोत्रा के रूप में मिली ।
हमारे संवाददाता बालक राम ने सुरेंद्रनाथ गंडोत्रा से खास बातचीत की है, इनका कहना क्या है आईए सुनाते हैं
प्रदेश उनकी काबिलियत और ईमानदारी का कायल है। इन्होनें हिमाचल प्रदेश के वित्त विभाग में भी काम किया। सैक्शन ऑफिसर, अकाउंट्स ऑफीसर, डिप्टी कंट्रोलर और फिर अन्तिम पद कंट्रोलर पर अपनी सेवाएं प्रदेश के अलग सरकारी विभागों में दी। वित्त मैनेजमेंट में गंडोत्रा जी को महारत हासिल है। 38 वर्षों के सरकारी सेवा काल में इन्होंने प्रदेश के सभी आला अधिकारियों के साथ काम किया है। यहीं नहीं रिटायरमेंट के बाद भी ये अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं । ये हिपपा में मास्टर ट्रेनर रहे हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद आज भी ये पंचायती राज जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देते हैं। इनमें सीखने की लालसा ने इन्हें वित्त विभाग का एक्सपोर्ट बनाया। आज भी सरकारी कार्यालयों में वित सम्बन्धित समस्या को सुलझाने के लिए इन्हें स्पैशल रिक्वेस्ट आती हैं। गंडोत्रा जी का व्यक्तित्व हमें सिखाता है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।