राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का ऐलान, कब्जे वाली 50 बीघा तक वन भूमि का मिलेगा मालिकाना हक

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का ऐलान, वन भूमि अधिकार अधिनियम के तहत राहत देगी प्रदेश सरकार
शकील कुरैशी — शिमला
हिमाचल प्रदेश में सरकार किसानों को बड़ी राहत देने की तैयारी में है। यहां वन भूमि अधिनियम के तहत सरकार वन भूमि पर कब्जा की गई जमीन का मालिकाना हक किसानों को देगी। यह ऐलान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने एक पत्रकार वार्ता में किया। उन्होंने कहा कि किसानों को यह हक 2006 में यूपीए सरकार द्वारा लाए गए वन भूमि अधिकार अधिनियम के अंतर्गत दिया जाएगा। इसके तहत 2005 से पहले वन भूमि पर आश्रित जनजातीय व अन्य प्रदेश के गैर जनजातीय लोगों को 50 बीघा तक की जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जमीन का दावा करने वाले को दो बुजुर्ग की गवाही और ग्राम सभा का अनुमोदन की शर्त रखी गई है। भूमिहीन लोग इसका फायदा उठा सकते हैं।
चंबा में सबसे बेहतर काम
मंत्री ने बताया कि इस अधिनियम के तहत जिला चंबा में 22730 हेक्टेयर भूमि कम्युनिटी के नाम पर की गई है। कांगड़ा में 28 हेक्टेयर भूमि कम्युनिटी के नाम पर की है। प्रदेश में कम्युनिटी राइट के 583 मामले आए, जिसमें से 146 मंजूर किए गए। इसके अलावा व्यक्तिगत मामलों में प्रदेश में 4883 केस प्राप्त हुए, जिसमें से 594 मामलों में मंजूरी प्रदान की तथा 46 हेक्टेयर भूमि लोगों को दी है। व्यक्तिगत मामलों में चंबा में 694 केस आए, जिसमें से 53 मंजूर किए गए। इसी तरह लाहुल स्पिति में 937 में से 116 तथा किन्नौर में 3175 में से 425 केस स्वीकृत किए है।
ऐसे मिलेगी मंजूरी
मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि आवेदक को दो पेज के आवेदन पर आपना आवेदन करना होगा। साथ ही जिस भूमि पर वह क्लेम कर रहा है, उस पर उसका 2005 से पहले तीन पुश्तों का कब्जा व उससे उसका जीवन यापन चल रहा है, का साक्ष्य गांव के दो बुजुर्गों से करवाना होगा। यदि भूमि को लेकर पटवारी का कागज नहीं होगा, तो व्यक्ति स्वयं ही एक कागज पर उसका नक्शा बना सकता है। इसके बाद उसे यह आवेदन ग्राम सभा की फॉरेस्ट राइट कमेटी को देना होगा। कमेटी मौके पर जाकर अपनी रिपोर्ट देगी ग्रामसभा को देगी। ग्रामसभा अनुमोदन करने के बाद एसडीएम की अध्यक्षता में गठित उपमंडल स्तर पर गठित कमेटी को भेजेगी। कमेटी क्लेम को अनुमोदन करने के बाद डीसी की अध्यक्षता में गठित कमेटी आवेदन को नियमानुसार मंजूरी प्रदान करगी।
पटवारी की बड़ी जिम्मेदारी
पटवारी को ग्राम सभा स्तर की फॉरेस्ट राइट कमेटी द्वारा फील्ड विजिट की तिथि पर अनिवार्य रूप से आना होगा। यदि वह बिना सूचना के गैर हाजिर रहेंगे तो उसे 1000 रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि डीसी से ग्रामसभाएं उप मंडल व जिला स्तर पर गठित फॉरेस्ट राइट कमेटी की रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद जनजातीय विकास विभाग जागरूकता कार्यशाला आयोजित करने के लिए फंड देगा।
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