रूस ने ठुकराया युद्धविराम का प्रस्ताव, पुतिन के करीबी बोले, छोटे-मोटे संघर्षविराम से नहीं चलेगा काम

बातचीत से पहले ही ट्रंप की डील को ठेंगा, पुतिन के करीबी बोले, छोटे-मोटे संघर्षविराम से नहीं चलेगा काम
एजेंसियां — मास्को
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी और राष्ट्रपति कार्यालय (क्रेमलिन) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यूक्रेन युद्ध पर 30 दिनों के युद्धविराम प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने गुरुवार को कहा कि अमरीका द्वारा प्रस्तावित और यूक्रेन द्वारा स्वीकृत 30 दिनों के युद्धविराम से सिर्फ कीव को फायदा होगा, क्योंकि उसे अपनी सेना को अवकाश देने में मदद मिलेगी। बयान में यूरी उशाकोव ने कहा कि अमरीका द्वारा प्रस्तावित अस्थायी युद्धविराम ‘यूक्रेनी सेना के लिए एक अस्थायी विराम’ होगा। उशाकोव ने कहा कि रूस एक दीर्घकालिक शांतिपूर्ण समाधान चाहता है जिसमें मास्को के हितों और चिंताओं को ध्यान में रखा जाए।
उन्होंने यह बयान व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज के साथ फोन पर बातचीत के एक दिन बाद दिया है। यह बयान इसलिए अहम है ,क्योंकि अमरीका और रूस के अधिकारी युद्धविराम के मुद्दे पर मॉस्कों में वार्ता करने वाले हैं। ट्रंप ने इस मुद्दे पर बातचीत के लिए अपने दूत को मॉस्को भेजा था, लेकिन वार्ता से पहले ही रूस ने इस तरह का बयान देकर अमरीका पर दबाव बढ़ा दिया है। उशाकोव ने यह भी कहा कि रूस यूक्रेन में एक दीर्घकालिक शांति समझौता चाहता है, जो मॉस्को के हितों और चिंताओं को ध्यान में रखता हो। उन्होंने यह भी कहा कि रूस और अमरीका के बीच विचारों का सामान्य आदान-प्रदान शांत तरीके से हो रहा है।
वादा करें, नाटो का मेंबर नहीं बनेगा यूक्रेन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अब अमरीका पर दबाव बनाने में जुटे हैं। उन्होंने सीजफायर पर अमल के लिए लंबी डिमांड लिस्ट रख दी है। उनका कहना है कि यदि इन मांगों को अमरीका स्वीकार कर ले और यूक्रेन पर भी दबाव बनाए, तभी वह सीजफायर को स्वीकार कर सकेंगे। अब तक यह क्लियर नहीं है कि रूस के राष्ट्रपति ने क्या-क्या मांगें रखी हैं, लेकिन इतना साफ है कि नाटो की मेंबरशिप यूक्रेन को न मिले, यह मांग व्लादिमीर पुतिन ने रखी है। रूसी राष्ट्रपति के करीबी सूत्रों का कहना है कि व्लादिमीर पुतिन ने साफ कर दिया है कि अमरीका और नाटो वादा करें कि यूक्रेन को मेंबरशिप नहीं दी जाएगी। इसके अलावा यह भी कहा जाए कि नाटो का विस्तार ऐसे नहीं किया जाएगा कि रूस के पड़ोसी देशों को शामिल किया जाए।
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