बागी नाले में लहलहा रही फूलगोभी की फसल

By: Apr 30th, 2025 12:12 am

बरसात से पहले वरदान से कम नहीं नाले का किनारा, पानी और उर्वरकता होने से होती है अच्छी पैदावार

दीक्षा ठाकुर-मंडी
पद्घर उपमंडल के अंर्तगत पराशर घाटी में बहने वाला बागी नाला जहां एक ओर प्रचंड रूप में विनाश लेकर आता है। वहीं जब यह नाला अपनी सीमाओं में रहता है तो लोगों के लिए आजीविका का जरिया भी बन जाता है। यह नाला विनाश और सृजन की परिभाषा है। पिछली बरसात में जब नाला विनाश बनकर आया और लाखों का नुक सान कर दिया। वहीं अब यही नाला शांत होने पर लाखों का मुनाफा देकर स्थानीय किसानों का सृजन कर रहा है। बरसात के बाद अब बागी नाला शांत है और किसानों द्वारा फूलगोभी की खेती की गई है। नाले के बीच लहराती फूलगोभी की खेती मानों यहां के लोगों के लिए वरदान हो। बागी नाले के शांत होने पर स्थानीय किसान फूलगोभी की खेती में जुट गए थे। कि सानों द्वारा नाले में पानी के बहाव के साथ आए बड़ी संख्या में पत्थरों और लकडिय़ों को हटाया, जिसके बाद यहां खेती की गई।

नाले में ही गोभी की खेती करने से किसानों को पानी भी पर्याप्त मात्रा में मिल जा रहा है, जिससे फूलगोभी की फसल अच्छी हो गई है। वहीं इस मिट्टी में उर्वरकता भी पर्याप्त मात्रा में शामिल है। यहां लहराती फू लगोभी की खेती लोगों की मेहनत का फल है। महीने भर में यह फसल पूरी तरह से तैयार होकर बाजारों में बिकने के लिए भेज दी जाएगी। बागी नाला के एक बड़े हिस्से में अलग-अलग किसानों ने यह खेती है। जिसकी कीमत लाखों में है। स्थानीय किसान किशन का कहना है कि बागी नाला जब अपने प्रचंड रूप में आता है, तो यहां तबाही का मंजर देखने को मिलता है। नाला हर साल नुकसान कर जाता है। लेकिन नाले के शांत होने पर लोग पानी के साथ आई लकडिय़ों का उपयोग घर के करते हैं तो वहीं नाले में जगह होने के कारण वह यहां फसलों की बिजाई भी कर देते हैं, ताकि उन्हें फायदा हो सके। वर्तमान में उन्होंने यहां फूलगोभी की बिजाई की है।पानी और उर्वरकता होने के कारण फसल अच्छी हो जाती है। एचडीएम


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