मुख्यमंत्री स्वच्छ जल शोधन योजना से मिलेगा साफ पानी, जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध करवाने को सरकार की पहल

जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध करवाने को सरकार की पहल
चीफ रिपोर्टर-शिमला
हिमाचल प्रदेश में पेयजल योजनाओं के साथ बने भंडारण टैंकों की सफाई का शैड्यूल सही तरह से सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है। जब पानी में ज्यादा मिट्टी आने की शिकायतें आती हैं, तभी जल शक्ति विभाग के कर्मचारी उसकी सफाई में लगते हैं, जिससे पूर्व जो एसओपी इसके लिए निर्धारित है उसके मापदंडों को सही तरह से लागू नहीं किया जा रहा है। इन दिनों में प्रदेश के कई क्षेत्रों में इस तरह की शिकायतें आ रही हैं और आने वाले समय में जब बरसात होगी, तो यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। जल शक्ति विभाग ने बाकायदा एक एसओपी बना रखी है, लेकिन उसकी मॉनिटरिंग का कोई मापदंड नहीं है। खुद सरकार मानती है कि लोगों को शुद्ध जल का निर्धारण नहीं हो पाता। हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी जगहों पर गंदा पानी मिलता है।
कांगड़ा में चार ड्रिंकिंग वाटर ट्रीट्रमेंट प्लांट
जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी, जसवां,परागपुर व देहरा में आगामी वित्त वर्ष के दौरान 43 करोड़ रुपए की लागत से ड्रिंकिंग वाटर ट्रीट्रमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। दस जिलों में जिनमें किन्नौर और लाहुल-स्पीति को छोडक़र शेष में 291 चयनित योजनाओं में सेंसर आधारित रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसके द्वारा पीने के पानी की गुणवत्ता, मात्रा की नियमित निगरानी हो सकेगी। सरकार सभी जिला में 14 बैक्टिरियोलॉजिकल मापदंडों के लिए एनएबीएल मान्यता प्राप्त जल परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी।
प्रदेश में कुल 10077 पेयजल योजनाएं
भविष्य में प्रदेश सरकार ने इसके लिए कुछ सोचा है और इसमें काफी ज्यादा सुधार की गुंजाइश देखी जा रही है। कुछ योजनाओं का ऐलान मुख्यमंत्री सुक्खू ने अपने बजट में भी किया है। प्रदेश में जल शक्ति विभाग की कुल 10077 पेयजल योजनाएं चल रही हैं जिनमें से अधिकांश में फिल्टर लगे हुए हैं क्योंकि वह योजनाएं नालों से जुड़ी हुई हैं। दो से तीन हजार योजनाएं हैं, जिनमें चश्मों का पानी लोगों को वितरित किया जा रहा है।
महीने में एक बार टैंक की सफाई जरूरी
महीने में एक बार टैंक की सफाई होना जरूरी है और यदि टैंक छोटा है, तो दो महीने में भी उसकी सफाई हो सकती है। मगर इसमें भी यह देखना होता है कि यदि बरसात के दिन हैं तो उसमें सफाई करवाना 15 दिन या इससे पहले भी हो सकती है।
हर रोज हो पानी की क्लोरिनेशन
पानी में क्लोरिनेशन की बात करें तो यह रोजाना होनी जरूरी है। इसके लिए नियम बनाया गया है कि लोगों के घरों तक पहुंचने वाले पानी में प्वाइंट दो पीपीएम की क्लोरीन की मात्रा होनी जरूरी है। रोजाना पानी में क्लोरिनेशन करना आवश्यक है लिहाजा यह काम सभी पेयजल योजनाओं में किया जाता है।
पेयजल स्कीमों के लिए अलग से बजट
प्रदेश सरकार चाहती है कि सभी पेयजल योजनाओं में गुणवत्तायुक्त पानी उपलब्ध हो जिसके लिए सरकार ने अपने अगले बजट में फोकस भी किया है। सरकार की जो योजनाएं भविष्य के लिए बनाई गई हैं उसके मुताबिक यहां पर मुख्यमंत्री स्वच्छ जल शोधन योजना चलाई जाएगी। योजना में नवीनतम तकनीकों जैसे ओजोनेशन, यूवी फिल्टरेशन, आरओ और नैनो फिल्ट्रेशन इत्यादि का उपयोग कर जल शोधन कर स्वच्छ जल हिमाचल की जनता को उपलब्ध करवाया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत 80 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
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