किसानों ने मांगा पांच बीघा भूमि पर मालिकाना हक

By: Apr 29th, 2025 12:11 am

पांवटा में भूमिहीन और कब्जाधारी किसानों ने सडक़ निर्माण-सरकारी योजनाओं के लिए ली गई भूमि के बदले उठाई मांग

धीरज चोपड़ा-पांवटा साहिब
पांवटा साहिब में सोमवार को भूमिहीन और कब्जाधारी किसानों ने हिमाचल किसान सभा के नेतृत्त्व में एकजुट होकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान भूमिहीन और कब्जाधारी किसानों ने लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए विशाल रैली निकाली व एसडीएम कार्यालय पहुंचकर एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। इस प्रदर्शन में सिरमौर के विभिन्न खंडों से आए सैकड़ों किसानों ने भाग लिया। किसानों का कहना था कि वर्षों से वह जमीन पर कब्जा कर जीवन-यापन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनके अधिकारों को मान्यता देने में विफल रही है। किसानों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द मांगें नहीं मानी गई तो आंदोलन को जिला स्तर से प्रदेश स्तर तक फैलाया जाएगा। प्रत्येक भूमिहीन व कब्जाधारी किसान को कम से कम पांच बीघा भूमि मालिकाना हक के साथ प्रदान की जाए। जिन किसानों की भूमि सडक़ निर्माण व अन्य सरकारी परियोजनाओं में ली जा रही है उन्हें बाजार मूल्य का चार गुणा मुआवजा दिया जाए।

भूमिहीन किसानों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार तत्त्काल नया कानून बनाए आए लागू करे। भूमिहीन किसानों के साथ हो रहे भेदभावपूर्ण रवैये को समाप्त किया जाए और सभी किसानों को समान दर्जा दिया जाए। वनाधिकार अधिनियम के तहत उपयुक्त अधिकारियों को अधिनियम के तहत किसानों द्वारा किए गए सभी दावों को स्वीकार करने का निर्देश दिया जाए और सरकार द्वारा माफिकक आधार पर इसकी निगरानी की जाए। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार किसानों को उनकी अधिग्रहित भूमि चार गुणा मुआवजा दिया जाए। 2019 के बाद घटाए गए सर्कल रेट को खारिज करके अपडेट किया जाए। भूमिहीन और छोटे व सीमांत किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत दी गई सभी नीलोड भूमि का विशेष म्यूटेशन किया जाए, जिसकी किसी न किसी कारण से म्यूटेशन नहीं हो सकी। भू-स्वामियों की ऐसी भूमि जिस पर गुजारे लगे थे और जिसे भू-जीत अधिकतम सीमा अधिनियम, 1972 के अंतर्गत सरकार में निहित किया गया है जिसने अब मुजारे सरकार के अंतर्गत दर्ज है उन्हें हिमाचल प्रदेश मुजारियत एवं नू-सुधार अधिनियम 1972 के अंतर्गत मालिकाना हम दिए जाने के लिए उचित प्रावधान किए जाएं। हिमाचल किसान सभा ने ऐलान किया कि यदि जिला प्रशासन व सरकार ने जल्द संज्ञान नहीं लिया तो सिरमौर जिले के प्रत्येक उपमंडल और तहसील मुख्यालयों पर क्रमिक धरने शुरू किए जाएंगे। साथ ही विधानसभा सत्र के दौरान राजधानी शिमला में भी जोरदार प्रदर्शन की योजना बनाई जाएगी।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App or iOS App