किसान बोले, बेदखली के आदेश रद्द करो

By: Apr 29th, 2025 12:10 am

आनी में किसानों का उग्र आंदोलन, सीएम को ज्ञापन भेज कर न्याय के लिए उठाई आवाज

स्टाफ रिपोर्टर-आनी
जमीन से बेदखली के खिलाफ सोमवार को हिमाचल किसान सभा की आनी इकाई ने आनी में प्रदर्शन किया। हिमाचल किसान सभा के पूर्व प्रदेश सचिव डाक्टर द्वारा सार्वजनिक पब्लिक परमिसिस एक्ट के तहत हजारों बेदखली आदेश दिए गए तथा हिमाचल प्रदेश के डिविजनल कमिश्नर और उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें बरकरार रखा गया। जिन्हें अब रद्द कर दिया गया है या हिमाचल उच्च न्यायालय को वापस भेज दिया गया है। किसान सभा के नेताओं का कहना है कि ये बेदखली जारी है तथा राज्य के विभिन्न भागों में कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना तथा उचित सीमांकन किए बिना आवासीय मकानों को सील किया जा रहा है।

यहां तक कि उन मकानों को भी नहीं बख्शा जा रहा है जो नौतोड़ पॉलिसी के तहत स्वीकृत भूमि पर बनाए गए हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने वर्ष 2000 में भूमि राजस्व अधिनियम 1963 में धारा 163, को शामिल करके संशोधन किया था। इसके तहत 167339 किसानों ने शपथ पत्र भरकर अतिक्रमित सरकारी भूमि के नियमितीकरण के लिए आवेदन किया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि वे अतिक्रमित सरकारी भूमि के मालिक हैं। इस अधिनियम के खिलाफ एक रिट याचिका हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में लंबित है, जिस पर अभी अंतिम आदेश आना बाकी है, लेकिन इसके बावजूद भी ऐसे किसानों को पब्लिक परनिसिस एक्ट के तहत कब्जे वाली भूमि खाली करने के लिए नोटिस दिए जा रहे हैं। आपदा के कई मामलों में किसानों के पास कोई भूमि नहीं बचती, यहां तक कि घर बनाने के लिए भी नहीं।

मांगों को जल्द पूरा करने की गुहार
किसान सभा ने मांग कि बेकार भूमि या बंजर भूमि को 1927 के वन अधिनियम और 1980 के वन संरक्षण अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है, इसलिए इसे भारत के संविधान के अधिकार क्षेत्र से बाहर घोषित किया जाए और जब तक ऐसा नहीं किया जाता है, तब तक सभी बेदखलियों को स्थगित रखा जाए। सभी भूमिहीन और छोटे और सीमांत किसानों और उन लोगों को भी दस बीघा तक भूमि प्रदान की जा सके, जिनकी कृषि भूमि प्राकृतिक आपदा से नष्ट हो गई है। इसके लिए केंद्र सरकार से 1980 के वन संरक्षण अधिनियम में उचित संशोधन करने का अनुरोध किया जाए। किसान नेताओं ने मांग उठाई कि भूमिहीन एवं गरीब किसानों को कम से कम 5 बीघा कृषि भूमि दी जाए और नियमित की जाए। सभी भूमिहीन व्यक्तियों को सरकार की नीति के अनुसार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमश: दो और तीन बिस्वा भूमि प्रदान की जाए और जब तक उन्हें उपयुक्त भूमि आबंटित नहीं की जाती हैए तब तक उनके आवास से बेदखल न किया जाए।


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