हिमाचल: बेरोजगारी : सही नीति निर्धारण से समाधान संभव

बेरोजगारी के निवारण के लिए हिमाचल प्रदेश को ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए वेतनभोगी नौकरियों के साथ-साथ स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है। सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर घट रहे हैं। युवाओं को स्वरोजगार की तरफ भी अपनी रुचि को मोडऩा होगा…
संपूर्ण भारतवर्ष में ही बेरोजगारी एक गंभीर तथा जटिल समस्या बनी हुई है। विभिन्न विश्वव्यापी घटनाओं तथा प्राकृतिक आपदाओं जैसे कोविड, बाढ़ आदि ने इसे और भी जटिल बना दिया है। बेरोजगारी व्यक्ति के लिए निर्धनता, समाज के लिए अपमानजनक तथा राष्ट्र के लिए मानवीय संसाधन की हानि का प्रतीक है। बेरोजगार वे व्यक्ति होते हैं जो पंद्रह से साठ वर्ष की आयु वर्ग में होते हैं और वे काम करने के इच्छुक हैं, पर उनके पास काम नहीं होता। हिमाचल प्रदेश में भी बेरोजगारों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। हिमाचल में संपन्न हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में राज्य में युवाओं को 5 लाख रोजगार के अवसर सृजित करने का वादा किया था। इस गारंटी को पूरा करने के लिए एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति भी गठित की है। इस गारंटी को पूरा करना वर्तमान सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार की कैबिनेट उप-समिति, जो संसाधन जुटाने के सुझाव के लिए बनाई गई है, ने सरकार को अनुशंसित किया है कि हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को 58 वर्ष से 59 वर्ष किया जाए। घाटे में चले हुए कुछ उपक्रमों को बंद करने की भी सिफारिश की है। अगर सरकार इन निर्णयों को लेती है तो बेरोजगार युवा और हताश होंगे और नशाखोरी एवं नशे के कारोबार में ज्यादा संलिप्त होंगे। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में 8 लाख से भी अधिक बेरोजगार हैं। आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारी दर हर साल एक प्रतिशत के हिसाब से बढ़ रही है। हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी के मुख्य कारण हैं-औद्योगिकीकरण की कमी, सरकारी नौकरियों पर निर्भरता, कौशल विकास की कमी, कृषि और पर्यटन में मौसमी रोजगार तथा शिक्षा का स्तर आदि। हिमाचल प्रदेश को कुदरत ने बहुत से प्राकृतिक संसाधनों से नवाजा है। अगर सही ढंग से इनका दोहन किया जाए तो यहां कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा।
बेरोजगारी के निवारण के लिए हिमाचल प्रदेश को ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए वेतनभोगी नौकरियों के साथ-साथ स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है। सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर घट रहे हैं। युवाओं को स्वरोजगार की तरफ भी अपनी रुचि को मोडऩा होगा। हिमाचल प्रदेश में वेतनभोगी रोजगार या नौकरियां भिन्न-भिन्न विभागों में खाली पड़े पदों पर पारदर्शी प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से बेरोजगारों को दी जा सकती हैं। इसके लिए बेरोजगार युवा पिछले कई वर्षों से प्रदर्शन करते रहे हैं। सरकारी विभागों में इस समय हजारों की संख्या में खाली पद पड़े हैं। विभिन्न विभागों में खाली पदों के होने से जनता के काम सुचारू रूप से नहीं होते। हिमाचल प्रदेश सरकार ने जो भर्तियां अभी तक की हैं, वे रिक्त पदों की तुलना में बहुत कम हैं, बाकी पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरा जा रहा है। आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती न ही युवाओं के लिए सही है और न ही सरकार के लिए, क्योंकि अगर आउटसोर्सिंग के कर्मियों ने किन्हीं कारणों से काम बंद कर दिया तो सरकार के सभी दफ्तरों के काम बंद हो जाएंगे। आउटसोर्सिंग से काम की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। हिमाचल प्रदेश में वेतनभोगी रोजगार के साधन सीमित हैं, परंतु कृषि एवं बागबानी, पर्यटन, हाइड्रो पावर परियोजनाओं तथा खनिज क्षेत्र में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन तथा पनबिजली दो ऐसे क्षेत्र हैं जिनका सही नीति निर्धारण कर अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ रोजगार को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश सैलानियों के लिए स्वर्ग है। लोग देश और विदेशों से हिमाचल प्रदेश में पर्यटक स्थल, धार्मिक स्थल, मंदिर आदि देखने आते हैं। एक अच्छी पर्यटक नीति, अच्छी सडक़ें, हवाई हड्डे, सैलानियों के ठहरने के लिए अच्छी व्यवस्था, पर्यटकों के जान-माल और शोषण की रक्षा आदि से पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। वैसे तो हिमाचल सरकार पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। इसी कड़ी में कांगड़ा को राज्य की पर्यटक राजधानी घोषित कर रखा है। एचपीटीडीसी के होटल प्रमुख स्थानों तथा खुली पार्किंग से लैस हैं, मगर रखरखाव न होने के कारण पर्यटक इन होटलों में नहीं ठहरते। सरकार को इन होटलों को लीज पर दे देना चाहिए। इससे पर्यटकों को निजी होटलों के बराबर सुविधाएं मिल पाएंगी। हिमाचल में परिवहन व्यवस्था को सुचारू तथा सस्ता बनाना होगा। नए हवाई अड्डों का निर्माण, वर्तमान हवाई पट्टियों का विस्तार तथा हवाई किराया कम होना चाहिए।
रेलवे लाइनों से पर्यटक स्थलों को जोडऩा होगा ताकि पर्यटकों का सफर आसान हो। विद्युत परियोजनाओं के जलाशयों तथा झीलों आदि में पर्यटक स्थल, डेस्टिनेशन वेडिंग स्थल और पिकनिक स्पाट विकसित कर एवं क्रूज, शिकारा, हाऊसबोट, मोटरबाइक, वाटर स्कूटर, हाट एयर बैलूनिंग, फिशिंग आदि क्रियाएं शुरू करके पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। पर्वतारोहण, आइस स्केटिंग, स्कीईंग, पैराग्लाइडिंग आदि क्रीड़ाओं को प्रोत्साहन देकर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। समर और विंटर उत्सव आयोजित कर पुराने महलों, किलों का सरंक्षण कर पुरानी विरासत और पारंपरिक वास्तुकला एवं मंदिरों में विभिन्न धार्मिक आयोजन कर स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लोकल कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य, संगीत और ड्रामे आदि के शो करके पर्यटकों को आकर्षित कर स्वरोजगार के अवसर सृजित किए जा सकते हैं। वन विभाग तथा पर्यटन विभाग आपस में सहयोग करके नेशनल पार्क, सेंक्चुरी तथा वन विहारों को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित करके पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में कई स्थल ऐसे हैं जहां फिल्मों की शूटिंग की जा सकती है। इन स्थलों को चिह्नित और विकसित कर शूटिंग के लिए फिल्म उद्योग को आमंत्रित किया जा सकता है। होमस्टे, योग, वेलनेस केंद्र, कायाकल्प और मालिश आदि द्वारा स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए जा सकते हैं। सरकार को ट्रैवल एजेंटों व टूर ऑपरेटरों के साथ मिलकर नए डेस्टिनेशन, ट्राइबल टूरिज्म और वाटर टूरिज्म के अलावा एग्रो टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहिए। इससे रोजगार के साधन बढ़ेंगे।
सत्यपाल वशिष्ठ
स्वतंत्र लेखक
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