चूड़धार यात्रा में शुल्क वसूलना नहीं आसान

By: Apr 26th, 2025 12:10 am

वन विभाग को बहुत कम मिल रहा राजस्व; श्रद्धालु शुल्क देने से करते हैं इनकार, घोड़ा मालिकों ने विभाग से सौ रुपए देने में जताई असमर्थता

संजीव ठाकुर – नौहराधार
गत 17 अप्रैल से चूड़धार यात्रा पर पहली बार यात्रा शुल्क शुरू हो गया है। मगर शुल्क श्रद्धालुओं से लेना टेड़ी खीर बन गया है। कई श्रद्धालु शुल्क दे रहे हैं तो कई श्रद्धालुओं का कहना है कि यह आस्था के साथ खिलवाड़ है। हम लोग पर्यटक नहीं हैं। हम आराध्य देव शिरगुल महाराज के दरबार माथा टेकने जा रहे हैं। ऐसा पहली बार देख रहे हैं कि इस प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर शुल्क देना पड़ रहा है जो दुख का विषय है। बता दें कि वन विभाग द्वारा तय किया गया था कि स्थानीय लोगों को यहां पर शुल्क वसूलने के लिए रखा जाना है। मगर कोई भी स्थानीय लोग तैयार नहीं हुए। कारण साफ है स्थानीय लोग भी समझते हैं कि धार्मिक स्थल पर शुल्क वसूलना कहां तक सही है। इसी के चलते स्थानीय लोगों ने साफ मना कर दिया। अब मजबूरी में वन विभाग के कर्मी खुद चूड़धार के रास्तों में शुल्क वसूल रहे हैं। मगर परिणाम वन कर्मी को कम मिल रहा है।

नौहराधार से चूड़धार के बीच अस्थायी ढाबे हैं। इस वर्ष पहली बार इन ढाबों ने टेंडर के माध्यम से ढाबे लिए हैं जिन्हें सामान लाने के लिए नौहराधार से घोड़े की जरूरत पड़ती है। घोड़े मालिक से भी 100 रुपए शुल्क रखा गया है। मगर घोड़ा मालिकों ने भी 100 रुपए देने में असमर्थता जताई। इस संदर्भ में वन परिक्षेत्र अधिकारी को पत्र के माध्यम से मांग की है कि उनसे शुल्क की वसूली न की जाए। यदि देखा जाए तो शुल्क की वसूली करना बहुत मुश्किल है जहां स्थानीय लोगों ने शुल्क न लेने की मांग की है। वहीं श्रद्धालुओं ने भी मांग की है कि ऐसे धार्मिक स्थलों पर शुल्क न लिया जाए। नौहराधार में स्थानीय लोगों के साथ वन विभाग की एक बैठक संपन्न हुई थी। इस बैठक में वन विभाग ने हिमाचली यात्रियों पर 20 रुपए प्रति यात्री और गैर हिमाचली पर 50 रुपए यात्रा शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा था। विरोध करने के बाद बैठक में यह निर्णय हुआ था कि हिमाचली यात्रियों से प्रति यात्री 10 रुपए व गैर हिमाचलियों से 20 रुपए यात्रा शुल्क लिया जाएगा। इस फैसले के एक सप्ताह बाद वन विभाग ने हिमाचलियों से 20 रुपए, गैर हिमाचलियों से 50 रुपए व विदेशी यात्रियों से 100 रुपए तक यात्रा लगाने की बात कही गई है।

श्रद्धालुओं के परिवारों पर पड़ेगा बोझ
शिरगुल महाराज जिला सिरमौर, शिमला व सोलन के आराध्य देव कुलिष्ठ देवता हैं। इन जिलों के लोग एक परिवार से दर्जनों सदस्य इक_ा होकर देवता के दर्शन को हर वर्ष जाते हैं। शुल्क से परिवार को बोझ पड़ेगा।

चूड़धार की यात्रा पर कम जा रहे लोग
वनरक्षक दलीप सिंह ने बताया कि अभी कम लोग चूड़धार की यात्रा पर जा रहे हैं। मगर वीकेंड पर जरूर ज्यादा श्रद्धालु चूड़धार जाते हैं। कई श्रद्धालु शुल्क देने से मना कर देते हैं। इसलिए अभी शुल्क का राजस्व कम ही मिल रहा है।


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