एसआर हरनोट की ‘छह लंबी कहानियां ’ का लोकार्पण

वाणी प्रकाशन समूह के एमडी बोले, हिमाचल के मशहूर साहित्यकार के लेखन में मानवीय सरोकार और पर्यावरण चेतना
सिटी रिपोर्टर-शिमला
वाणी प्रकाशन समूह और हिमालय साहित्य मंच के संयुक्त संयोजन में मशहूर लेखक एसआर हरनोट की ‘छह लंबी कहानियां’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर, प्रख्यात कवि और संपादक डॉ. हूबनाथ पांडेय ने की। मंच पर वरिष्ठ कवि चिंतक रमण मिश्र, वरिष्ठ आलोचक डॉ हेमराज कौशिक और कवि आलोचक जगदीश बाली तथा मंच संचालन कर रहे कवि आलोचक डाक्टर सत्यनारायण स्नेही उपस्थित रहे। वाणी प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े और उनका लिखित संदेश युवा कवि आलोचक डॉ दिनेश शर्मा ने पढ़ा। अरुण माहेश्वरी ने बताया कि हरनोट का लेखन केवल स्थूल पहाड़ों का चित्रण नहीं करता, बल्कि वह पहाड़ को सांस्कृतिक, सामाजिक परिवर्तनकारी रूप में देखते हैं । परिवेश के प्रति सजगता, युवाओं में आत्मविश्वास और वैश्विक परिवेश को भी आत्मसात करते है। साथ ही नकारात्मक और अमानवीय परिवर्तनों का विरोध भी करते हैं। ‘छह लंबी कहानियां’ को वाणी ने विश्व पुस्तक मेले में प्रकाशित किया था, जो स्थानीय होते हुए भी वैश्विक चिंताओं की कहानियां को उजागर करता है।
डॉ हूबनाथ पांडेय ने बताया कि हरनोट को उन्होंने प्रसिद्ध आलोचक गौतम सान्याल के कीलें और दारोष संग्रह पर लिखे आलेखों से जाना। सान्याल ने बिल्लियां बतियाती है ने अद्भुत बताते हुए मुंबई यूनिवर्सिटी के बीए पाठ्यक्रम में भी शामिल किया। हरनोट की कहानियों में पर्यावरणीय चेतना और मानवीय सरोकार बहुत गहराई से जुड़े हैं, जो आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक हैं। कहानी संग्रह की कहानियों पर रमन मिश्र, हेमराज कौशिक, जगदीश बाली और राजन तनवर ने भी विस्तार से बात की। बीज वक्तव्य में जगदीश बाली ने डेथ लाइव, लडक़ी गुस्से में है, मृत्यु गंध, फ्लाई किलर, देवखेल और एक नदी तड़पती है संग्रह की सभी कहानियों पर सारगर्भित टिप्पणी दी। हरनोट का लेखन बहुआयामी है जिनमें स्त्री, दलित, वृद्ध और पर्यावरण विमर्श मौजूद है। शोषण और अनियोजित विकास की बुलंद आवाज उनकी कहानियों में मौजूद है। इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण डिजिटल मीडिया के संपादक कवि हितेंद्र शर्मा ने किया। डॉ. देव कन्या ठाकुर ने सभी लेखकों और साहित्यनुरागियों का धन्यवाद किया। यह कार्यक्रम 1 बजे से 4 बजे तक चला, जिसमें कानपुर से राजेश अरोड़ा, मुंबई से अर्जुन घरत घराट, प्रमोद और हिमाचल शिमला से रचना पठानिया, कीरतपुर से शोध छात्रा सीमा गौतम, डॉ विजय लक्ष्मी नेगी, डॉ रोशन लाल जिंटा, सलिल शमशेरी, सहित बहुत से साहित्य प्रेमी और छात्र मौजूद रहे।
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