PahalgamTerrorist Attack: 10 दिन में पाकिस्तान का खेल खत्म

By: Apr 25th, 2025 5:50 pm
PahalgamTerrorist Attack:

दिव्य हिमाचल ब्यूरो—नई दिल्ली

PahalgamTerrorist Attack: सिंधु जल संधि पर रोक से लाभ से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत पूरे पश्चिमोत्तर भारत को लाभ होगा, लेकिन इसके लिए पूरे क्षेत्र में नहरों का जाल बिछाना होगा। PahalgamTerrorist Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के साथ वर्ष 1960 से चली आ रही जल संधि पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और संबंधित बांध से पानी पाकिस्तान क्षेत्र में जाने से रोक दिया गया है। इसके लिए जलशक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान को सिंधु जल संधि पर रोक लगाने की फैसले की औपचारिक सूचना एक पत्र द्वारा दे दी है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार जलसंधि पर रोक लगाने के फैसले का क्रियान्वयन करने लिए उच्च स्तर पर बैठकों का दौर जारी है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने तगातार बैठक कर रहे हैं।

PahalgamTerrorist Attack:

जानकार सूत्रों का कहना है कि अगले दस दिन में पाकिस्तान की ओर जाने वाले जल प्रवाह को रोक दिया जाएगा। पंजाब में चिनाब नदी पर बालीघर और साल जल विद्युत परियोजना का पानी पूरी तरह से रोक दिया गया है। जानकारों का कहना है कि यह संधि पाकिस्तान के पक्ष में है और भारत को उसकी आवश्यकताओं तथा हितों के अनुरूप नदियों का जल नहीं मिल पाता है। संधि के अनुसार भारत रावी, ब्यास और सतलुज का जल प्रबंधन करता है जबकि पाकिस्तान सिंधु, झेलम और चेनाब का प्रबंध करता है। यह सभी नदियां पाकिस्तान में प्रवेश करती हैं। इससे अधिकतर जल पाकिस्तान के हिस्से में जाता है। दोनों देश जल वितरण के लिए एक-एक आयुक्त की नियुक्ति करते हैं और इसकी नियमित बैठकर होती है। हालांकि पिछले लगभग तीन साल से उनकी कोई बैठक नहीं हुई है। जानकारों का कहना है कि सिंधु जल संधि पर रोक लगाने के फैसले का पाकिस्तान और भारत पर अलग-अलग असर होगा। यदि भारत इन नदियों का जल का प्रबंध नहीं करें तो पाकिस्तान के 60 प्रतिशत आबादी को भयंकर बाढ़ का सामना करना होगा। दूसरी ओर भारत में नदियों का जल रोकने लेने से पश्चिमोत्तर भारत में पानी का संकट दूर किया जा सकता है। हालांकि इसका लाभ लेने के लिए भारत को व्यापक स्तर पर जल वितरण का बुनियादी ढांचा विकसित करना होगा। इसके लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, राजस्थान और गुजरात तक नहरों और बांघों का जाल बिछाना होगा।

पंजाब – हरियाणा में निर्मित सतलुत – यमुना लिंक नहर का भी इसके लिए प्रयोग किया जा सकता है। भारत लंबे समय से सिंधु जल संधि की समीक्षा करने की मांग करता रहा है और इस पर वर्ष 2016 के बाद से तेजी आयी है। सिंधु नदी प्रणाली के अंतर्गत पानी का इस्तेमाल करने के लिए भारत में वर्ष 2016 के बाद से गंभीर प्रयास किए हैं और कई नदियों पर बांध बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। हालांकि इन पर पाकिस्तान ने गंभीर आपत्ति जताई है और वह इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी ले गया है। भारत ने इन नदियों के भारतीय क्षेत्र में कई परियोजना शुरू की है, जिन पर काम हो रहा है। झेलम पर किशन गंगा बांध परियोजना पूरी हो चुकी है तथा चेनाब पर रैटल जल विद्युत परियोजना पर काम चल रहा है। झेलम नदी पर तुलबुल परियोजना फिर से शुरु की जा चुकी है। पंजाब में रावी नदी पर शाहपुरकुंडी बांध बनाने का काम वर्ष 2018 से चल रहा है। इसके लिए उझ परियोजना भी 2020 से काम चल रहा है। इन सभी का उद्देश्य पाकिस्तान की ओर जाने वाले जल प्रवाह रोकना है।

किसानों को मिलेगा नया जीवन
जल संसाधन मंत्रालय के पूर्व सचिव शशि शेखर का कहना है कि यह संधि पाकिस्तान के पक्ष में है और इस पर फिर से बातचीत होनी ही चाहिए। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान योजना आयोग में कृषि पर एक कार्यसमूह के सदस्य अजय कुमार का कहना है कि इससे छोटे किसानों की पानी तक पहुंच सुगम होगी। खास तौर पर भू जल संकट झेल रहे पश्चिमोत्तर भारत की कृषि भूमि को नया जीवन दान मिल सकेगा।

सूख जाएगा पाकिस्तान, छा जाएगा अंधेरा
संधि पर रोक लगने से पाकिस्तान पर व्यापक असर होगा। पाकिस्तान में सिंधु नदी क्षेत्र की 80 प्रतिशत खेती, लगभग एक करोड़ 60 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। इससे लगभग 30 करोड़ लोगों का जीवन यापन होता है, जो 61 प्रतिशत आबादी है। सिंधु और उसके साथ सहायक नदियों पर पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची, लाहौर और मुल्तान को भी जलापूर्ति होती है। जानकारों का कहना है कि इस फैसले से पाकिस्तान में खाद्यान्न में गंभीर गिरावट आ सकती है। इसके अलावा पाकिस्तान की तरबेला और मंगला जैसी बिजली परियोजनाएं भी इन्हीं नदियों पर निर्भर हैं। इससे बिजली उत्पादन में संकट आ सकता है। पाकिस्तान का सिंधु बेसिन भी जल संकट से जूझ रहा है, जिससे पाकिस्तान के प्रांतों में आपसी संघर्ष बढ़ सकता है।


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