पहलगाम आतंकी हमले से देशभर में आक्रोश है। जगह जगह लोग इस हमले का विरोध हो रहा है। कहीं बाजार बंद तो कही लोग सड़को पर उतरकर इसका विरोध कर रहे है। जाहिर सी बात है की लोगों की भावनाओं पर इसका गहरा असर पड़ा है। लेकिन इन सब के आलावा पहलगाम हमले का और किन किन क्षेत्रों में असर पड़ा है या पड़ेगा ये जानना भी बड़ी बात है।
पहलगाम में आतंकी हमला ऐसे समय पर हुआ जब पर्यटकों का मौसम चरम पर था। तो जाहिर सी बात है की प्रयटन पर इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा। इस हमले के कारण लोगों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी है। खासकर पूर्वी भारत से आने वाले, सबसे ज्यादा 30% पर्यटक पश्चिम बंगाल से आते हैं। 2020 में 34 लाख पर्यटक आए थे, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 2.36 करोड़ हुई थी। जिसमें 65,000 विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। 2025 की शुरुआत भी अच्छी रही थी, श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन में सिर्फ 26 दिनों में 8.14 लाख पर्यटक आए थे. घाटी में घरेलू और विदेशी टूरिस्ट्स की संख्या घट सकती है, जिससे होटलों, टैक्सी सेवाओं, गाइड्स और आसपास की दुकानों पर सीधा असर होगा। पहलगाम अटैक के बाद पर्यटकों के गुस्से का सबसे ज्यादा असर ट्रैवल एजेंसियों पर पड़ा है, जिन्होंने अप्रैल, मई और जून के लिए भारी बुकिंग कर रखी थी। अब उनकी बुकिंग एक के बाद एक कैंसिल हो रही है। कोई भी टूरिस्ट कश्मीर घूमने नहीं जाना चाहता। लोगों में इतना डर है कि वे कहीं भी घूमने जाने से कतरा रहे हैं. दिल्ली की ट्रैवल एजेंसियां मजबूरी में लोगों के पैसे रिफंड कर रही हैं।
J&K फिलहाल भारत की GDP में 0.8% का योगदान देता है। लेकिन इस हमले से पर्यटन और निवेश में गिरावट आ सकती है, जिससे ये योगदान और कम हो सकता है। शिमला समझौता – पाकिस्तान ने 1972 का शिमला समझौता को निलंबित कर दिया है। साथ ही, वाघा बॉर्डर को बंद, भारत के साथ सभी व्यापारिक गतिविधियाँ रोक दी गई हैं, और भारतीय एयरलाइनों के लिए अपने हवाई क्षेत्र के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। शिमला समझौता निलंबित होने का भी बड़ा असर देखने को मिल सकता। इसका क्या असर होगा इसके लिए पहले यह जनना जरुरी है की आखिर शिमला समझौता है क्या। दरससल 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध जिसके जरिए बांग्लादेश आजाद हुआ, भारत की जीत हुई और पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, उसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ था. 2 जुलाई, 1972 को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने शिमला समझौते पर दस्तख़त किए थे। शिमला समझौते में दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की बात हुई थी। दोनों देश आपसी संबंधों को खराब करने वाली झड़पों से दूर रहने, दोस्ती भरे रिश्ते बनाने और स्थायी शांति स्थापित करने पर राजी हुए थे।
दोनो देश एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने पर भी सहमत हुए थे। एक दूसरे के अंदरूनी मामलों में दखल देने पर भी राजी हुए थे। समझौते को स्थगित करने का मतलब है कि पाकिस्तान इन सिद्धांतों पर अमल नहीं करेगा। संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत दोनों देश एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता के ख़िलाफ शक्ति के इस्तेमाल या उसकी धमकी से दूर रहने को राज़ी हुए थे। शिमला समझौते को स्थगित करने का मतलब है कि पाकिस्तान भारत की क्षेत्रीय अखंडता से खिलवाड़ करने की हिमाकत कर सकता है।
पहलगाम हमले के बाद अमरनाथ यात्रा की बुकिंग भी कैंसिल हो रही है। कुछ ट्रैवल एजेंट का कहना है की न सिर्फ जम्मू कश्मीर बल्कि अमरनाथ यात्रा की बुकिंग भी लोग कैंसिल करवा रहे हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद अमरनाथ तीर्थ यात्रा की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। लोगों को अब ये डर सता रहा है कि इस बार की यात्रा सुरक्षित होगी कि नहीं। अमरनाथ यात्रा को लेकर जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरेंद्र चौधरी ने बड़ा बयान दिया है। डिप्टी सीएम सुरेंद्र चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि पहलगाम आतंकी हमले से वार्षिक अमरनाथ तीर्थयात्रा प्रभावित नहीं होगी। डिप्टी सीएम ने कहा कि अमरनाथ यात्रा एक धार्मिक आयोजन है। जो लोग अमरनाथ यात्रा के लिए आना चाहते हैं, वे अपनी इच्छा से आएंगे। केवल पहलगाम आतंकी हमले के कारण यात्रा प्रभावित नहीं होगी। . … पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद श्रीनगर-चंडीगढ़ उड़ान की दरें भी आसमान छू रही हैं, जिससे ट्राइसिटी के निवासी कश्मीर से वापस लौट रहे हैं।
भारत-पाकिस्तान संबंधों में और गिरावट आ सकती है। दूतावास बंद करने और वीजा रद्द करने जैसे फैसले से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध समाप्त हो सकते हैं। राजनीती में भी इसका असर देखने को मिला है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले को लेकर सर्वदलीय बैठक की।