आरबीआई की बैठक में गूंजे एमएसएमई के मुद्दे

बैठक में बैंकों, उद्योग विभाग, एमएसएमई डीएफओ सोलन और बीबीएन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा, सात मुद्दों पर महामंथन
दिव्य हिमाचल ब्यूरो-बद्दी
प्रदेश के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की समस्याएं शनिवार को शिमला स्थित भारतीय रिजर्व बैंक कार्यालय में आयोजित 77वीं सशक्तिकरण समिति की बैठक में प्रमुखता से उठाई गईं। बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के रेजिडेंट डायरेक्टर अनुपम किशोर ने की। इसमें विभिन्न बैंकों, उद्योग विभाग, एमएसएमई डीएफओ सोलन और बीबीएन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बीबीएन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रतिनिधि डा. जय गोपाल गोयल ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में उन्होंने एमएसएमई सेक्टर से जुड़े सात महत्वपूर्ण मुद्दे आरबीआई अधिकारियों के समक्ष रखे। उन्होंने केंद्र सरकार की फंड्स ऑन फंड्स स्कीम की प्रगति पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की और कहा कि इसके लाभ उद्यमियों तक जल्द पहुंचने चाहिए।
सीजीटीएमएसई योजना (क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज) को लेकर गोयल ने पूछा कि हिमाचल प्रदेश और विशेषकर बद्दी क्षेत्र से कितने उद्यमियों ने इस योजना के तहत आवेदन कियाए कितनों को स्वीकृति मिली और कितने आवेदन निरस्त हुए। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ निजी वित्तीय संस्थान लोन टेकओवर के समय प्री-पेमेंट चार्ज वसूलते हैं, जबकि यह प्रावधान नहीं है। बैंकों ने स्पष्ट किया कि वे यह शुल्क नहीं लेते, लेकिन नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (एनबीएफसी) इसे लागू कर रही हैं। इस पर आरबीआई अधिकारियों ने कहा कि एक ड्राफ्ट पॉलिसी विचाराधीन है, जिसके लागू होने के बाद कोई भी संस्था इस तरह का चार्ज नहीं वसूल सकेगी। चेक बाउंस से जुड़ी समस्या पर डा. गोयल ने कहा कि बैंकों द्वारा दोनों पक्षों से चार्ज वसूलना गलत है, क्योंकि दोष केवल चेक जारी करने वाले का होता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ऐसी संस्थाओं की सिबिल रिपोर्टिंग की जाए और उनकी बैंक रेटिंग कम की जाए ताकि अन्य संस्थाएं सतर्क रहें।
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