अग्रिम जमानत जरूरी है

By: May 10th, 2025 12:05 am

दोस्तो ! सोच रहा हूं कि बाकी के सारे काम धंधे छोडक़र मुझे सबसे पहले अग्रिम जमानत करवा लेनी चाहिए। धंधे तो बाद में भी चलते रहेंगे। इस मुल्क में धंधों की कोई कमी थोड़ी है। सरकारी रेता, बजरी, सरिया, सीमेंट बेचने से लेकर जाली प्रमाणपत्र बनाकर बेचने जैसे कई चकाचक धंधे यहां मौजूद हैं। जब तक मुल्क में ऐसे वैसे लीडर हैं, तब तक धंधों की कोई कमी थोड़ी है। एक से बढक़र एक धंधे हैं। चलो मान लो बाकी धंधे कभी संकट में पड़ भी गए तो राजनीति का धंधा तो मुल्क में है ही। इस धंधे से बढक़र कोई दूसरा धंधा क्या होगा। मुल्क को अपने आप की जागीर समझकर जितना लूटना चाहो, लूट लो। रोकने वाला ही कौन है? राजनीति के हमाम में चोर चोर मौसेरे भाई हैं। वह भला आपत्ति क्यों करेंगे। अब आप जानना चाह रहे होंगे कि अग्रिम जमानत करवाने के लिए मैं क्यों सोच रहा हूं। क्या मैंने अपने पद का दुरुपयोग करके कोई बेनामी संपत्ति बना ली है? क्या मैंने किसी घोटाले को अंजाम दे दिया है या फिर कोई उल्टा सीधा कांड कर दिया है जो विरोधी मेरी छवि को खराब कर सके। आप अपनी अपनी कॉमन सेंस के मुताबिक जो भी सोचना चाहें, सोच सकते हैं। इस मुल्क में सोचने पर कोई टैक्स नहीं है। सरकार इस मामले में बहुत उदार है। लेकिन मैं यहां क्लियर कर दूं कि अभी तक मैंने कोई घोटाला नहीं किया है। मैं सिर्फ ऐहतियात के लिए ही अग्रिम जमानत लेने की सोच रहा हूं। मैंने देखा है कि अग्रिम जमानत होने पर पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाती। सिर्फ सुबह से शाम तक थाने में बिठा सकती है। मेरे कई राजनीतिक विरोधी हैं। मैं लगातार उन्हें डंडा देता रहता हूं। विरोधियों के आका मुझे डंडा देने के चक्कर में हैं। क्या पता कब किस लफड़े में मुझे दबोच लिया जाए। मुल्क में इतने घोटाले हो रहे हैं, इतने मर्डर हो रहे हैं, पुलिस अपना रेपुटेशन बढ़ाने और विरोधी अपनी नाक बचाने के लिए कभी भी मुझे दबोच सकते हैं। मुझे दबोच लिया गया तो पुलिस मेरा रिमांड ले लेगी।

मुझे रिमांड से बहुत डर लगता है। मेरी पत्नी आए दिन मेरा रिमांड लेती रहती है। लेकिन मुझे गिरफ्तार नहीं कर पाती। वह मुझे आंखें दिखाती है और मैं उसे आंखे दिखा देता हूं। लेकिन पुलिस के हाथ में तो पावर होती है। वह रिमांड लेकर मेरी ऐसी तैसी कर सकती है। इसलिए अग्रिम जमानत लेकर रिमांड से बचना चाहता हूं। अग्रिम जमानत मिल गई तो मैं सबसे पहले लीडरी ही करूंगा। दो चार बाहुबली अपने साथ रखूंगा। दो-चार विरोधियों की पिटाई करवा दूंगा। विरोधी एफआईआर दर्ज करवा देंगे। आज के इस दौर में जितनी एफआईआर, उतनी लोकप्रियता। आपने गौर किया होगा, अब तो चुनावी पोस्टरों में नेताओं की तस्वीर के नीचे लिखा होता है- ‘24 केस दर्ज, 12 बार जेल यात्रा, फिर भी जनता की सेवा में तत्पर!’ मैं जनता की सेवा करने के साथ-साथ अपना राजनीतिक भविष्य भी सुरक्षित रखना चाहता हूं, इसलिए जेब में अग्रिम जमानत भी रखना चाहता हूं। यानी फुलप्रूफ काम में यकीन रखता हूं। इसलिए सोचा है कि पहले ही कोर्ट में जाकर कह दूं- ‘हुजूर, मैं तो बेगुनाह हूं, पर राजनीति में हूं, इसलिए आरोपी बनने की पूरी संभावना है। कृपया मुझे जमानत दे दी जाए, ताकि मैं बिना डरे देशहित में लूटखसोट करता रहूं।’ कभी-कभी लगता है कि अगर नेता बनना हो, तो वकील भी साथ में रखना जरूरी है। वकील तगड़ा हो तो कत्ल करके भी बच जाऊंगा। और अगर बड़े नेता बनना हो, तो एक-दो अंतरराष्ट्रीय स्तर के वकील पीठ पर खड़े रहना जरूरी हैं। जितना नामी वकील होगा उतना ही खाकसार का रुतबा होगा। जमाना खराब आ रहा है। अब तो शादी की शर्तों में भी लिखा जाया करेगा- ‘वर अग्रिम जमानतशुदा हो, ताकि कन्या पक्ष को बाद में कोर्ट कचहरी के चक्कर न काटने पड़ें।’ तो मित्रो, यही सब सोचकर अब मैं अग्रिम जमानत की लाइन में लग रहा हूं। बाकी धंधे, बाकी सपने, बाकी भाषण, सब होते रहेंगे। पहले खुद को बचा लूं, फिर देश को बचा लूंगा।

गुरमीत बेदी

साहित्यकार


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