बाल पुराण…

By: May 2nd, 2025 12:05 am

मैं बालों की समस्या से परेशान हो गया हूं। इधर बीस वर्ष पूर्व मेरे बाल काले हुआ करते थे। इधर अब हाल यह हो गया है कि सिर के बाल काले और सफेद मिलकर अजीब तरह की खिचड़ी बन गए हैं। दाढ़ी की सफेदी को तो मैंने रोज शेव बनाकर सलटा दिया है। परंतु ये सिर के बाल मेरी पोल खोलने पर तुले हुए हैं। पत्नी और बच्चे सदैव यह कहते रहते हैं कि मैं समय रहते इनका कोई स्थायी समाधान निकालूं, परंतु मेरा दिमाग बिल्कुल काम नहीं कर रहा। इन बालों की वजह से मेरा चेहरा भी बदल गया है। उम्र ने तो खैर चेहरे का भूगोल बदला ही है, रही-सही कसर बालों ने पूरी कर दी है। बाल भी सख्त होकर खड़े हो गए हैं तथा उनका रेशमीपन जाता रहा है। इस पचपन वर्ष की उम्र ने मुझे लगभग जोकर सा बना दिया है। मेरे बालों को लेकर डॉक्टरों ने तो अपने हाथ खड़े कर दिए हैं, परंतु टी.वी.पर आने वाले साबुनों, शैंपुओं तथा डाइयों के विज्ञापनों ने मुझमें एक उम्मीद अवश्य जगा रखी है। बाल तो बदरंग हुए। मुझे जबरदस्त डैंड्रब का रोग अलग से है। हमेशा बालों के ऊपर एक गर्द सी छाई रहती है। पत्नी ने अवश्य पचास की होने के बावजूद अपने बालों को मेनटेन कर रखा है। पता नहीं दिनभर क्या-क्या उपाय करती है, जिससे उसके बाल रेशमी, मुलायम, काले और आकर्षक हैं। हालांकि यह कार्य काफी व्ययसाध्य हो रहा है, परंतु स्टेटस के लिए पत्नी को आकर्षक बनाए रखना आज की महती आवश्यकता भी है। मेरे खिचड़ी और भद्दे बालों के कारण वह बाजार, पार्टी अथवा किसी समारोह में न तो मेरे साथ जा पाती है और न अपने साथ मुझे ले जा पाती है।

अजीब सी ऊहापोह बन गए हैं मेरे सिर के बाल। विज्ञापनों में आने वाले साबुन, शैंपू, तेल और डाई रोगन इतने प्रकार के हैं कि तय करना मुश्किल है कि कौनसा साधन सस्ता, टिकाऊ और आकर्षक रहेगा। किसी में क्या विशेषता है तो किसी में क्या कमी है, इस चक्कर में कोई सर्वमान्य निर्णय नहीं कर पा रहा हूं। बच्चों का तो सुझाव यह है कि मैं बालों में कलर करवाकर इस समस्या को ढक सकता हूं। लेकिन पत्नी कहती है कि पहले बालों को ऐसा पोषण दो ताकि ये शूल की तरह खड़ा रहना बंद करें। जब पोषण से ये सतह पर आ जाएं तो इन्हें खूबसूरती से काला करो। मैंने पत्नी को समझाया भी कि जब ये काले थे, तब चेहरे का काला रंग और इनका काला रंग मिलकर क्या गुल खिला रहे थे, इससे तुम अनभिज्ञ नहीं हो। इसलिए बच्चों का कलरिंग वाला आइडिया अचित रहेगा। लेकिन पता नहीं वह क्यों बालों को काला करवाने पर तुली है। मेरे ये बाल अनचाहे बाल बन गए हैं, इस तरह मैं अनचाहे बालों की समस्या से ग्रस्त हूं। एक दिन मैंने विशुुद्ध मेहंदी का प्रयोग कर उन्हें नए रूप में देखना चाहा तो वे और अधिक भयावह बन गए। पत्नी ने उसी दिन कहा, काली मेहंदी लगाकर और देख लो, यदि ये लुभावने हो जाते हैं तो ठीक है, वरना अपन कोई और आयुर्वेदिक उपाय खोजेंगे। मैंने काली मेहंदी लगाई तो जिसका डर था, वही हुआ, मैं लगभग लंगूर जैसा बन गया। बच्चे हंसने लगे। पत्नी ने उन्हें इस बदतमीजी के लिए डांटा और मुझे आंवला, अरीठा तथा दही से बाल धोने का नुस्खा दिया। मैंने कहा, खाने को दही मिलता नहीं और बालों को दही से सींचो, कितनी असंगत बात है। लेकिन पत्नी के कथन की अनदेखी भी नहीं की जा सकती थी।

पूरन सरमा

स्वतंत्र लेखक


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