सारी हदें पार कर रही ईडी, सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी, तमिलनाडु शराब घोटाले की जांच पर रोक

By: May 22nd, 2025 11:23 pm

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली

उच्चतम न्यायालय ने शराब दुकानों के लाइसेंस जारी करने से संबंधित कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में तमिलनाडु राज्य विपणन निगम के खिलाफ धन शोधन जांच पर रोक लगाते हुए गुरुवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) संविधान का उल्लंघन करके सारी सीमाएं लांघ रहा है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर कथित 1,000 करोड़ रुपए के घोटाले में ईडी जांच की अनुमति देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। पीठ ने केंद्रीय एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि आपकी ईडी सारी हदें पार कर रहा है। आपका कार्यालय किसी निगम पर छापेमारी कैसे कर सकता है। आप देश के संघीय ढांचे का पूरी तरह उल्लंघन कर रहे हैं। शीर्ष न्यायालय ने ईडी को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह इस मामले की अगली सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद करेगा। तमिलनाडु सरकार ने ईडी ओर से सरकारी शराब खुदरा विक्रेता तमिलनाडु राज्य विपणन निगम के परिसरों में जांच के दौरान की गई छापेमारी की वैधता को चुनौती दी थी। मद्रास उच्च न्यायालय ने 23 अप्रैल, 2025 को राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी और ईडी की कार्रवाई को हरी झंडी दे दी थी। उच्च न्यायालय ने ईडी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई जारी रखने की अनुमति दी।

उच्च न्यायालय ने निगम द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था कि चेन्नई में तलाशी के दौरान ईडी ने उसके कर्मचारियों और अधिकारियों को परेशान किया था। शीर्ष अदालत में तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य सरकार ने ही अनियमितता के आरोपों पर निगम कर्मचारियों के खिलाफ 41 मुकदमे दर्ज किए हैं। हालांकि, ईडी ने वर्ष 2025 में इस मामले को शुरू किया और निगम मुख्यालय पर छापेमारी की तथा एमडी को हिरासत में ले लिया। राज्य की ओर से पेश हुए दूसरे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि ईडी ने निगम अधिकारियों के फोन की क्लोन कॉपी ले ली, जिससे उनकी निजता का उल्लंघन हुआ। उन्होंने कहा कि निजता नाम की कोई चीज होती है और इस संबंध में इस अदालत के दिशानिर्देश हैं। उधर, ईडी की वकालत करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दावा किया कि यह 1000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला है। शीर्ष अदालत ने हालांकि,उनसे सवाल किए और पूछा कि मुख्य अपराध क्या था? आप व्यक्तियों के खिलाफ तो आपराधिक मामला दर्ज कर सकते हैं, लेकिन निगम के खिलाफ नहीं। आपकी ईडी सारी हदें पार कर रही है। जब राज्य पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी, तो ईडी को इस मामले में कूदने की क्या जरूरत थी।


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