कई प्रोजेक्ट तैयार, कुछ अधूरे

स्मार्ट सिटी के लिए मिले थे 2900 करोड़, बिना योजना के पैसा खर्च
पंकज चौहान-शिमला
राजधानी शिमला को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए करीब 2900 करोड़ रुपए मिले थे। इसमें से कई प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो गए हैं। लेकिन कुछ प्रोजेक्ट अधर में ही हैं। लेकिन जो प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो गए हैं, उन्हें लोग इस्तेमाल ही नहीं कर रहे हैं। इसमें एक संजौली में बना फ्लाईओवर ब्रिज, लोअर बाजार की लिफ्ट, विकासनगर की लिफ्ट, टुटीकंडी में बना फुटओवर ब्रीज, हिमलैंड के पास बना अंडर पाथ शामिल हैं जिन्हें कोई भी इस्तेमाल ही नहीं करता है। हालत यह है कि फुट ओवर ब्रीज ज्यादातर नशेडिय़ों का अड्डा बन गए हैं। वहीं कुछक ब्रीज की तो हालत भी खस्ता होना शुरू हो गई है। क्योंकि इन ब्रीजों को बहुत कम लोग ही इस्तेमाल करते हैं। इसकी वजह यह है कि यह ऐसी जगह बने हैं जहां पर बस स्टोपेज नहीं है और कुछ ऐसे स्थान पर भी बनाए गए हैं जहां से लोगों का आना जाना भी कम है। विकासनगर से छोटा शिमला जोडऩे के लिए लिफ्ट बनकर तैयार हो गई है। लेकिन यह लिफ्ट छोटा शिमला से भी दूर करीब 500 मीटर है। ऐसे में लोगों को इस लिफ्ट में सफर करने के बाद भी पैदल ही चलना पड़ेगा। साथ ही इसका किराया 20 रुपए तय किया गया है जो बहुत ज्यादा है। क्योंकि विकासनगर से छोटा शिमला चौक पहुंचने के लिए सिर्फ दस रुपए बस में किराया लगता है और वह बस छोटा शिमला में उतराती है।
यानी लोगों को छोटा शिमला के लिए पैदल सफर नहीं करना पड़ता है। लेकिन इस लिफ्ट में किराया 20 रुपए है और उसके बाद भी 500 मीटर पैदल सफर करना पड़ता है। वहीं लोअर बाजार से मालरोड जोडऩे के लिए भी लिफ्ट शुरू हो गई है। लेकिन इसका इस्तेमाल भी कोई नहीं करता है। इसका किराया भी 20 रुपए है। इस लिफ्ट में पूरे दिन में करीब 20 लोग मुश्किल से इस्तेमाल करते हैं। इस लिफ्ट से पूरे महीने का खर्चा इतना कम निकलता है कि जो यहां कर्मचारी कार्य कर रहे हैं उनका वेतन भी नहीं निकल पाता है। हालांकि इससे ज्यादा पैसा तो इसकी सर्विस के लिए ही खर्च हो जाते हैं। हालंाकि इस लिफ्ट का यहां के व्यापारी भी करते रहे हैं। यहां के व्यापारियों का कहना है कि जब से लिफ्ट बनी है तब से सिडिय़ों पर बनी दुकानों की ओर भी कोई ग्राहक आना पसंद नहीं करता है। इससे लोअर बाजार के कई कारोबारियों के कारोबार पर भी फर्क पड़ रहा है। यानी यह लिफ्ट सुविधा कम तो नुकसान ज्यादा कर रही है। इसके लिए अंडर पाथ की बात करे तो हिमलैंड में ऐसे स्थान पर अंडर पाथ और फुट ओवर ब्रिज बनाया गया है जहां पर कोई भी आता जाता नहीं है। वहीं रात के अंधेरे में यहां पर शराबी शराब पीते हैं। क्योंकि यहां किसी का आना जाना नहीं होता है और अंडर पाथ में यह भी पता नहीं लगता है कि यहां कोई व्यक्ति है। बरसात में यहां पर पानी और मिट्टी भर जाती है। एचडीएम
सुदंरता को बिगाड़ रहे फुट ओवर ब्रिज
संजौली चौक पर बना फुट ओवर ब्रिज बनने के बाद भी लोग इसका इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते। खासकर बुजुर्ग लोग तो इसके इस्तेमाल करने से फरहेज ही करते हैं। क्योंकि इसमें सिडिय़ां चढक़र जाना पड़ता है। वहीं यदि किसी को बस में सफर करना है तो उसे रोड़ क्रास करके ही जाना पड़ता है क्योंकि किसी भी बस स्टॉप के लिए इसका रास्ता नहीं निकलता है।
विकास परियोजनाओं का कोई इस्तेमाल नहीं
नगर निगम के मेयर सुरेंद्र चौहान ने बताया कि स्मार्ट सिटी से जो भी प्रोजेक्ट तैयार हुए हैं, उनका कोई भी इस्तेमाल नहीं करता है। इसको लेकर हमारे पाई कई शिकायतें भी आई हैं। स्मार्ट सिटी के करोड़ों का पैसा बिना योजना के खर्च किया गया है और लोहे के स्टक्चर खड़े किए हैं। जिसका कोई इस्तेमाल ही नहीं है।
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