सैहब कर्मचारियों की हड़ताल खत्म

मेयर के वेतन बढ़ोतरी के आश्वासन के बाद आज काम पर लौटेंगे कर्मचारी, सफाई व्यवस्था सुधरेगी
स्टाफ रिपोर्टर-शिमला
सैहब सोसायटी वर्कर्ज यूनियन ने छुट्टी वाले दिन रविवार को भी मेयर सुरेंद्र चौहान का घेराव किया। मेयर सुरेंद्र चौहान भी छुट्टी वाले दिन कार्यालय में ही मौजूद थे। इस दौरान कर्मचारियों ने डिमांड की कि इस साल उनके वेतन में दस फीसदी की बढ़ोतरी नहीं की गई है। इस कारण कर्मचारियों में रोष है। मेयर सुरेंद्र चौहान ने उनकी बात को गौर से सुना। उन्होंने कहा कि एस्मा एक्ट लागू नहीं किया गया है। साथ ही उन्होंने ये भी आश्वसन दिया कि कर्मचारियों के वेतन में हर हाल में दस फीसदी की बढ़ोतरी होगी । अगले दो-तीन दिनों के भीतर उनका बढ़ा हुआ वेतन जारी किया जाएगा। आश्वसन मिलने के बाद अब कर्मचारियों ने भी अपनी हड़ताल को वापस ले लिया है। यानि सोमवार से कर्मचारी काम पर लौटेंगे। सैहब सोसायटी के गारबेज कलेक्टर, सुपरवाइजर, रोड़ स्वीपिंग स्टाफ व अन्य सैकड़ों कर्मी पिछले दस वर्षों से जारी सैहब कर्मियों के वेतन में दस प्रतिशत वार्षिक वेतन बढ़ोतरी को रोकने के खिलाफ नगर निगम शिमला प्रशासन के खिलाफ हड़ताल पर थे।
इससे पहले इन कर्मचारियों ने डीसी ऑफिस के बाहर भी धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि नगर निगम प्रशासन सैहब सोसायटी के बायलॉज के खिलाफ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि जो अढ़ाई करोड़ रुपए नगर निगम घरों की मैपिंग के लिए क्यू आर कोड स्कैनिंग के लिए खर्च करना चाहता है, उतने पैसे में 150 अतिरिक्त मजदूरों की भत्र्ती हो सकती है। उन्होंने मांग की कि सैहब वर्कर्ज को नियमित कर्मचारी घोषित किया जाए। इस दौरान मांग की कि सैहब कर्मियों को 4- 9 – 14 का लाभ दिया जाए। सभी सैहब सुपरवाइजरों व मजदूरों को सरकार द्वारा घोषित वेतन दिया जाए। सुपरवाइजरों व मजदूरों के लिए पदोन्नति नीति बनाई जाए। उनकी ईपीएफ की बकाया राशि उनके खाते में जमा की जाए। उनसे अतिरिक्त कार्य करवाना बंद किया जाए। उन्होंने मांग की है कि सैहब एजीएम की बैठक तुरंत बुलाई जाए व सैहब कर्मियों की मांगों को पूरा किया जाए।
राजधानी में सैहब सोसायटी के 1100 कर्मचारी
काबिलेजिक्र है कि पूरे शहर में सैहब सोसायटी के तहत 1100 कर्मचारी काम करते हैं। ऐसे में हड़ताल के चलते सफाई व्यवस्था चरमरा जाती है। इतने कर्मचारी एक दिन भी शहर के कूड़े को ठिकाने न लगाएं तो स्थिति को बखूबी समझा जा सकता है।
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