हिमाचल प्रदेश देवों की भूमि है। यहां पवित्र स्थानों की कमी नहीं है। यहां हर स्थान का अपना विशेष महत्त्व है। जोगिंद्रनगर से लगभग 41 किलोमीटर दूर हिमरी गंगा नामक पवित्र जगह है। यह स्थान चौहार घाटी के देवता हुरंग नारायण की कथा से जुड़ा है। हुरंग नारायण बाल्य काल में इस स्थान पर गांव वालों के पशुओं को चराने के लिए लाते थे। जिस स्थान पर देव पशु चराते थे, वहां पानी नहीं था। इस प्रकार पशुओं को हांकने वाली छड़ी से शक्ति के द्वारा उन्होंने यहां पानी निकाला था। देव यहां पशुओं को पानी पिलाते तथा पानी को शक्ति से बंद कर देते। गांव में इस बात से सब हैरान थे कि पशु घर आकर पानी नहीं पीते थे। गांव वालों ने इसका कारण जानना चाहा। एक दिन गांववालों ने चुपके से सारा रहस्य जान लिया तथा उसी समय देव गायब हो गए और हुरंग गांव में विराजमान हो गए।
रहस्य से पर्दा उठने के बाद तभी से इस स्थान में पानी की अमृत धारा लगातार बहने लगी। आज भी यहां बीस भादों को बहुत बड़ा मेला लगता है और हजारों लोग पवित्र स्नान करते हैं। इस पवित्र विशाल जलधारा में स्नान करने के पीछे लोक आस्था है कि यहां स्नान करने से जहां नि:संतान दंपतियों को संतान प्राप्ति होती है, वहीं चर्म रोग आदि से भी निजात मिलती है। संतान प्राप्ति के इच्छुक दंपति यहां सरोवर में अखरोट और फल फेंकते हैं, बाद में महिलाएं अपना दुपट्टा सरोवर में फैलाती हैं। कहा जाता है कि फल और फूल दुपट्टे में आ जाएं तो संतान की प्राप्ति होती है। हिमरी गंगा से 2 किमी.दूर गुप्त गंगा बहती है।