ऊँचे पहाड़ों पर बसे हैं भोले नाथ
देवभूमि उतराखंड, जहां ऊंचे पहाड़ों पर है स्वर्ग सा दृश्य, जहाँ बसते हैं भोले बाबा, और जहाँ होता है सभी पापों का नाश, और यहीं वो भूमि है जहाँ बसे है चार धाम, यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। चारधाम यात्रा, मात्र एक यात्रा नहीं बल्कि ऐसी यात्रा, जिससे जुड़ा है करोड़ों लोगों का विश्वास, जिस यात्रा को पूरा करने से हो जाते हैं सारे कष्ट दूर और सभी पापों का हो जाता है नाश, मान्यता है की इस यात्रा को पूरा करने से व्यक्ति को जन्म-मरण के बंधन से भी मुक्ति मिल जाती है। हाल ही में अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर चारधाम यात्रा की शुरुआत हुई, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा की शुरुआत हो जाती है। वहीँ सनातन धर्म में चारधाम यात्रा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है और भक्त लंबे समय से इस बात का इंतजार करते हैं कि चारधाम यात्रा कब से शुरू होगी। यह तीर्थयात्रा चार पवित्र स्थल यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ से की जाती है और हर तीर्थ स्थल देवी-देवताओं और पौराणिक घटनाओं से संबंधित हैं।
मान्यता है कि चारधाम यात्रा की परंपरा आदिगुरु शंकराचार्य ने की थी और यह यात्रा तकरीबन 1200 साल पुरानी है । यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के इन चार पवित्र स्थलों पर दिव्य आत्माओं का वास माना जाता है। केदरनाथ धाम को भगवान शिव का आराम का स्थल माना गया है तो बद्रीनाथ धाम को आठवां बैकुंठ कहा गया है, जहां भगवान विष्णु 6 महीने निद्रा में रहते हैं और 6 महीने जागते हैं । तो वहीँ यमुनोत्री धाम यमुना नदी का स्त्रोत स्थल माना जाता है तो गंगोत्री धाम को गंगा नदीं के स्त्रोत से जोड़कर देखा गया है। इस यात्रा के करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहते हैं इस यात्रा के करने से सभी तरह के रोग व दुःख दूर होते हैं और आध्यात्मिक विकास होता है। चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ होती है, यमुनोत्री, यमुना नदी का उद्गम स्थल है। यमुना जी यमराज की बहन हैं और उन्हें वरदान प्राप्त है कि वह अपने जल के माध्यम से सभी का दुख दूर करेंगी।
मान्यता है कि जो श्रद्धालु यमुनोत्री में स्नान करता है, उसे मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है। इसी वजह से भक्त चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से करते हैं। वहीँ आज से केदारनाथ धाम के कपाट भी खुल गए हैं, मंदिर को 54 किस्म के 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। इसमें नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे विभिन्न देशों से लाए गए गुलाब और गेंदा के फूल शामिल हैं। इसके साथ ही 4 मई को बद्रीनाथ के कपाट भी खुल जाएंगे। वहीँ हिन्दू मान्यताओं के अनुसार चार धाम चार दिशाओं में स्थित हैं उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जग्गननाथ पूरी, और पश्चिम में द्वारका, और जिन धार्मिक स्थलों की जानकारी हमने आपके साथ साझा की, इनको छोटा चार धाम कहा जाता है।