टीएमसी में बुखार की दवा खत्म

दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में मिर्गी-कैंसर की महंगी दवाएं भी नहीं
पंकज राणा- टीएमसी
डाक्टर राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल में आधी से ज्यादा दवाइयां खत्म हो गई हैं। बुखार की साधारण सी कॉमन दवाई पैरासिटामोल तक भी अस्पताल की डिस्पेंसरी में खत्म हो चुकी हैं। इसके साथ मिर्गी की दवाइयां, कैंसर की महंगी दवाइयां तथा अन्य बहुत सारी दवाइयां टांडा अस्पताल में काफी समय से खत्म हो चुकी हैं, जिन्हें अभी तक नहीं उपलब्ध किया जा सका है, जिसकी वजह से मरीजों को भारी राशि को खर्च कर प्राइवेट मेडिकल स्टोर से खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। अधिकतर मरीजों की रेगुलर महंगी दवाइयां हैं। कई मरीजों को छह महीनों से दवाइयां नहीं मिल पाई हैं, जिसके चलते इन्हें बाहर के प्राइवेट मेडिकल स्टोरों से हजारों रुपए खर्च कर खरीदने पड़ रही हैं। ऊपर से मरीजों को लंबी-लंबी लाइनों में घंटों खड़े होने के बाद खाली हाथ ही लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े टांडा अस्पताल में आधे प्रदेश की लगभग 45 विधानसभाओं की 30 लाख से ज्यादा की आबादी में छह जिलों चंबा, मंडी, ऊना, हमीरपुर, कुल्लू और लगभग 15 से ज्यादा आबादी वाले सबसे बड़े जिला कांगड़ा से मरीज उपचार के लिए टांडा अस्पताल में पहुंचते हैं। ऐसे में मुफ्त दवाइयों की सुविधा होने के बाबजूद मरीजों को हजारों रुपए खर्च कर दवाइयों को खरीदना पड़ रहा है।
कुछ दवाइयां इतनी महंगी हैं कि मरीजों को हर महीने खरीद पाना बहुत मुश्किल हो रहा है। अधिकतर गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को लंबी दवाइयां लगी होती हैं, जिन्हें हर महीने मरीजों को लेना अति आवश्यक होता है। दवाई न लेने के कारण गंभीर मरीजों की जान तक जा सकती है। मजबूरी में गरीब मरीजों को अपनी जेब को ही ढीला करना पड़ रहा है। टांडा मेडिकल स्टोर में ही अधिकतर दवाइयां खत्म हो चुकी हैं। उनका कहना है कि हमने दवाइयों की डिमांड बहुत समय से कर रखी है, लेकिन पीछे से ही दवाइयों को नहीं भेजा जा रहा है, लेकिन अचंभित करने वाली बात यह है कि एक बुखार की पैरासिटामोल तक भी टांडा अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं, जो कि हर छोटे से छोटे अस्पताल में भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती हैं, परंतु टांडा अस्पताल बुखार की पैरासिटामोल को उपलब्ध करवाने में भी असमर्थ है, जिसकी वजह से मरीज बुजुर्ग महिला और बच्चे परेशानी को झेलने को मजबूर हैं। मरीज एक तरफ तो मन को मार सकता है, परंतु हर जगह मरीजों को विकराल समस्याओं का सामना करने को मजबूर होना पड़ रहा है। कई मरीज तो प्राइवेट अस्पतालों का रूख करने को भी मजूबूर हो गए हैं। एचडीएम
15 दिन से खराब पड़ी एक्स-रे मशीनें
दूसरी तरफ टांडा अस्पताल में विभाग की एक्स-रे मशीनें लगभग 15 दिन से बंद पड़ा है। मरीजों को भारी पैसे खर्च कर बाहर प्राइवेट लैब्स में एक्सरे करवाने पड़ रहे हैं, अन्यथा बिना एक्स-रे मरीजों का इलाज हो पाना मुश्किल होता है। टांडा अस्पताल की व्यवस्थाएं, मशीनों, दवाइयों, लिफ्टों तथा मैन पावर के अभाव में चरमराने लग गई हैं।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App or iOS App