मां में देख सकते हैं ईश्वर का रूप

By: May 10th, 2025 12:05 am

मां का छोटा-सा शब्द अपने भीतर भावनाओं का महासागर समेटे है। मां केवल जन्मदात्री नहीं होती, वह जीवन की प्रथम शिक्षिका, प्रथम मित्र और प्रथम मार्गदर्शिका भी होती है। जब एक शिशु पहली बार रोता है, तो मां अपनी गोद और अपने स्पर्श से उसे पहली सुरक्षा देती है। मां की गोद ही बच्चे का पहला आश्रय बनती है। मां के लिए वैदिक और पौराणिक काल के ग्रंथों ने जो कहा है, वो आज भी यथावत है।

वेदों ने मां को मानव जीवन में सबसे ऊंचा स्थान दिया है। वेदों से संहिताओं तक, वाल्मीकि रामायण से महाभारत तक, सारे ग्रंथों ने निर्विवाद रूप से माता को ही देवताओं से भी ऊपर माना है। जब शब्द कम पड़ जाते हैं और भावनाएं उमडऩे लगती हैं, तब मन अचानक ही मां को याद करता है। 11 मई को मदर्स डे पर मां की महती भूमिका को स्वीकार करने की जरूरत है।

-डा. नीलू तिवारी, जयपुर


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