अवंतिका खत्री
आज बात हिमाचल के उस प्रोजेक्ट की, जिस पर टिकी हैं पूरे देश कि निगाहें। क्योंकि इस प्रोजेक्ट को पाने के लिए कई राज्यों ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन मिला हिमाचल को। हिमाचल प्रदेश जल्द ही कुछ ऐसा करने जा रहा है कि हमारे पड़ोसी देश चीन की चीखें निकल जाएं। अब तक कच्चे माल की धौंस दिखाकर भारत के विख्यात दवा उद्योग को पिछले पांव करने का इरादा रखने वाले पड़ोसी को सबक सिखाने का बीड़ा उठाया है हिमाचल प्रदेश ने।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की व्यवस्था परिवर्तन मुहिम के तहत ऊना जिला में बनने जा रहा बल्क ड्रग पार्क दवा उद्योग के कच्चे माल का सारा संकट दूर करने जा रहा है। इससे न केवल भारत की विदेशों पर निर्भरता समाप्त होगी, बल्कि अब तक रॉ मैटीरियल सप्लाई कर रहे चीन की चोंच भी हमेशा के लिए बंद हो जाएगी। हिमाचल में वह जमीन तैयार हो रही है, जहां आत्मनिर्भर भारत की असली ताक़त पनपेगी.. जिसके बाद चाइना का कद भारत के आगे बहुत छोटा पड़ जाएगा, तो चलिए जानते हैं कैसे यह पार्क हिमाचल ही नहीं, बल्कि देश की भी दशा और दिशा बदलेगा।
ऐसे ठिकाने आएगी चीन की अकड़
आज भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग उत्पादन की दृष्टि से विश्व में तीसरे स्थान पर है, जो विश्व की लगभग 20 प्रतिशत दवाओं की आपूर्ति करता है। किफायती जेनेरिक दवाओं और टीकों के मामले में भी भारत अहम काम कर रहा है, लेकिन हम पूरी तरह से इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। तीसरे स्थान पर होने के बाद भी हमें बल्क ड्रग के मामले में चाइना जैसे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। चाइना बल्क ड्रग उत्पादन करने वाले देशों में सबसे आगे है। एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 2000 से अधिक विभिन्न प्रकार के एपीआई का उत्पादन और निर्यात चीन द्वारा किया जाता है। बल्क ड्रग यानी कि एक्टिव फार्मास्यूटिक इनग्रडिएंट्स (एपीआई), जिनका उपयोग दवाइयों के निर्माण में होता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत 65 फीसदी से ज्यादा एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रडिएंट्स चीन से ही आयात करता है, लेकिन सोचिए जब यह एपीआई हम खुद तैयार करेंगे, तो भारत आत्मनिर्भर तो बनेगा ही चीन जैसे देशों से आयात पर भी अंकुश लगेगा। न केवल निर्भरता कम होगी, बल्कि स्वदेशी इस्तेमाल करने पर लागत भी कम आएगी और दवाईयों की कीमत भी कम होगी। इसीलिए तो देश के 3 राज्यों हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश में बल्क ड्रग पार्क बन रहे हैं।
एडवांस स्टेज पर टेंडर
भारत सरकार की बल्क ड्रग पार्क योजना के अंतर्गत हिमाचल के ऊना को चुना गया है। ऊना में बनने जा रहे इस पार्क के टेंडर अब एडवांस स्टेज पर हैं और निवेशकों के साथ संपर्क अब शुरू होने वाला है। कई नामी कंपनियां यहां निवेश की इच्छुक हैं। लगभग 1,405 एकड़ भूमि पर बनने जा रहा इस पार्क की इम्पोर्टेंस को समझते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस पार्क में स्ट्रैटेजिक पार्टनर के तौर पर राज्य सरकार को शामिल किया है, जबकि पहले भारत सरकार को सौंपी गई डीपीआर में प्राइवेट सेक्टर से स्ट्रैटेजिक पार्टनर लेने का प्रावधान था। परियोजना की कुल अनुमानित लागत लगभग 2 हजार करोड़ रुपए है, जिसमें केंद्र सरकार की अनुदान राशि लगभग 1000 करोड़ के करीब है, वहीं राज्य सरकार की ओर से बाकी की राशि खर्च की जाएगी, क्योंकि अब राज्य सरकार खुद इस पार्क में हिस्सेदार है, इसलिए नौकरी रोजगार समेत जनहित से जुड़े कई मसलों पर हिमाचल सरकार का सीधा कंट्रोल रहेगा। यह पार्क सिर्फ औद्योगिक क्रांति ही नहीं ला रहा, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोजगार ने नए मौके भी ला रहा है।
सीएम के प्रयास और अफसरों की मेहनत
बल्क ड्रग पार्क को लेकर भूमि का चयन हो चुका है। यह पार्क ऊना के पोलियां बीत में बनने जा रहा है। सीएम सुक्खू के प्रयासों और अफसरों की मेहनत रंग लाई है। यहां काम अब तेज गति से आगे बढ़ रहा है। परियोजना में प्रशासनिक भवन, जल आपूर्ति, बिजली सब-स्टेशन और लॉजिस्टिक जैसी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह पार्क कैसे भारत की शक्ति बनेगा, इसका मास्टर प्लान तैयार है और उस पर तेजी से काम शुरू हो चुका है। दूसरी ओर अलग- अलग विभाग भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस परियोजना में बिना किसी देरी के काम करते हुए नजर आ रहे हैं…सडक़, बिजली और पानी से जुड़े अधिकतर कार्य तीव्र गति से प्रगति पर हैं।
क्या कहते हैं उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक अंशुल धीमान
उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक अंशुल धीमान से दिव्य हिमाचल ने सडक़, पानी और बिजली से जुड़े मसले पर खास बातचीत की है, क्योंकि किसी भी बड़े प्रोजेक्ट के लिए यह आधार है, तो ऐसे में ये जानना बहुत जरूरी है कि कैसे और किस तकनीक के जरिए इन जरूरतों को पूरा किया जा रहा है, बता रहे हैं संयुक्त निदेशक अंशुल धीमान का।