Israel Iran War : ईरान ने तेज किए हमले, इजरायल ने मारा एक और न्यूक्लियर साइंटिस्ट

By: Jun 20th, 2025 10:25 pm

एजेंसियां — तेहरान

ईरान-इजरायल के बीच घातक लड़ाई शुक्रवार को आठवें दिन में प्रवेश कर गई। ईरान ने दक्षिणी इजरायल पर मिसाइलों की बारिश की है। शुक्रवार सुबह ईरान ने इजरायल के बीरशेवा शहर में माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के पास बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया। इससे कई कारों में आग लग गई। आस-पास के घरों को भी नुकसान पहुंचा। हमले में सात लोग घायल हुए हैं। इसके बाद ईरान ने शुक्रवार शाम इजरायल के कई शहरों पर फिर से हमले किए। हाइफा में मिसाइल गिरने से 17 लोग घायल हुए हैं। इनमें एक 16 साल के नाबालिग सहित तीन की हालत गंभीर है। उधर, ईरान की राजधानी तेहरान के गिशा इलाके में शुक्रवार सुबह हुए इजरायल द्वारा किए गए हमले में एक न्यूक्लियर साइंटिस्ट की मौत हो गई। इस धमाके का मकसद ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को नुकसान पहुंचाना था। हालांकि ईरानी सरकार की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इस घटना ने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और बढ़ा दिया है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने इजऱायल के हमलों को लेकर सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि शांति की एकमात्र राह यही है कि इजरायली हमलों को तुरंत और बिना शर्त रोका जाए। अगर इजरायल की ओर से हमले जारी रहते हैं, तो ईरान को और भी कड़ा जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उधर, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने साफ शब्दों में कहा कि जब तक इजरायल के हमले जारी रहेंगे, अमरीका या किसी अन्य देश के साथ इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं होगी।

ईरान इस समय आत्मरक्षा की स्थिति में है और अपना बचाव करना उसका अधिकार है। ईरान ने यूरोपीय देशों से संवाद की इच्छा जताई, लेकिन ज़ोर देकर कहा कि अमरीका के साथ कोई बातचीत संभव नहीं, जब तक इजरायल के हमले बंद नहीं होते। अराघची ने कहा कि ईरान को भरोसा है कि समय के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय इजरायल की आक्रामकता से दूरी बनाना शुरू करेगा और युद्ध विराम की मांग और तेज़ होगी। इसी बीच ईरान पर जल्द हमला करने के बड़े-बड़े दावे करने वाले अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब पीछे हट गए हैं और ईरान पर हमला करने के फैसले को दो हफ्ते के लिए टाल दिया है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप अगले दो सप्ताह के भीतर यह निर्णय लेंगे कि ईरान पर हमला करना है या नहीं। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप इस दौरान ईरान से फिर से बातचीत करना चाहते हैं। उन्हें अब भी इस बात की ‘पर्याप्त’ संभावना दिखती है कि बातचीत के जरिए मुद्दे सुलझाए जा सकते हैं और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अमरीका और इजरायल की मांगें पूरी हो सकती हैं। हालांकि ट्रंप के रुख में बदलाव की टाइमिंग अहम है। इस रुख में बदलाव तब आया है, जब रूस और चीन ने एक दिन पहले ही अमरीका से दो टूक कह दिया था कि अगर ईरान पर यूएस हमला बोलता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। चीन ने तो इजरायल को भी चेतावनी देते हुए कहा था कि ईरान पर हमले तुरंत बंद करे और युद्धविराम की घोषणा करे। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार कह रहे हैं कि अपने फैसलों से चौंकाने वाले ट्रंप ईरान पर हमला करने के मुद्दे पर अमरीकी नफा-नुकासन से चिंतित हैं। उन्हें इस बात की चिंता रही है कि अगर युद्ध में कूदे, तो इराक युद्ध जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। लंबी लड़ाई छिडऩे का भी खतरा है, क्योंकि जिस तरह से रूस और चीन खुलकर ईरान के समर्थन में उतरे हैं, उससे मध्य-पूर्व की जंग दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकती है।


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