गुप्तार घाट अयोध्या

राम नगरी अयोध्या का नाम सुनते ही हर किसी के मन-मस्तिष्क में राम की छवि निखर आती है। भगवान राम की स्मृतियों को समेटे अयोध्या में ऐसी कई जगह हैं, जो आपको भगवान राम के मौजूद होने का एहसास दिला देंगी। लेकिन अयोध्या में गुप्तार घाट की अलग ही पहचान है। क्या गुप्तार घाट की कहानी आइए जानते हैं। अयोध्या में कई मठ और मंदिर हैं। प्रत्येक मठ-मंदिर में प्रभु राम और माता जानकी की उपासना होती है, लेकिन इसी अयोध्या में प्रभु राम के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी जगहें हैं, जो आज भी त्रेतायुग का एहसास कराती हैं। ऐसी ही एक जगह है, जहां प्रभु राम लंका विजय करने के बाद अपने परमधाम गए थे। आइए जानते हैं कि प्रभु राम कहां से अपने परमधाम गए थे और वह जगह कहां है।
मुक्ति पाने की इच्छा- अयोध्या में एक स्थान गुप्तार घाट है। धार्मिक मान्यता है कि जब प्रभु राम अपने धाम को जाने लगे तो वह सरयू नदी के तट पर स्थित गुप्तार घाट से ही गए थे। इस बात की पुष्टि रामायण में भी मिलती है। गुप्तार घाट पर कई छोटे-छोटे मंदिर हैं, जिनके दर्शन से ही भक्तों को आनंद की प्राप्ति होती है। इस दिव्य स्थल पर श्रद्धालु मुक्ति पाने की इच्छा लेकर भी आते हैं। अयोध्या आने वाले श्रद्धालु यहां हरियाली का आनंद लेते हैं और सरयू में स्नान कर पुण्य भी अर्जित करते हैं।
दर्शन मात्र से इच्छा होती है पूरी- सरयू के किनारे गुप्तार घाट पर कई छोटे-छोटे मंदिरों के साथ यहां का सुंदर दृश्य मनमोह लेने वाला बनाया गया है। कहा जाता है कि 19वीं सदी में राजा दर्शन सिंह ने गुप्तार घाट का नवनिर्माण करवाया था। इस स्थान पर राम जानकी मंदिर, पुराने चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर और हनुमान मंदिर हैं। इस घाट को लेकर कहा जाता कि यह वही घाट है जहां से प्रभु राम अपने धाम को गए थे। यह स्थल बहुत ही पवित्र और पूजनीय है। यहां दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी होती है।
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