पत्रिका समीक्षा : आम पर्यटक की पीड़ा को मिली जुबां

By: Jul 6th, 2025 12:03 am

पर्यटन, साहित्य और संस्कृति की पत्रिका ‘प्रणाम पर्यटन’ का अप्रैल-जून 2025 अंक ‘आम पर्यटक’ की पीड़ा को उजागर करता है। संपादक प्रदीप श्रीवास्तव ‘कथानक’ में अयोध्या कैंट की बदलती तस्वीर से जहां खुश भी हैं, वहीं कुछ निराश भी हैं। यहां पर विकास तो हुआ है, लेकिन गर्मियों में आम पर्यटकों को छांव पहुंचाने वाले अनेक वृक्षों को काट दिया गया है, जिससे पर्यावरण की धज्जियां उड़ी हैं। यह उल्लेखनीय है कि यहां आने वाला ज्यादातर पर्यटक आम वर्ग से है, जिसे चिलचिलाती धूप का सामना करना पड़ता है। कवर स्टोरी में ऐतिहासिक शहर चंदेरी अपना इतिहास बता रहा है। नीतेश गुप्ता का आलेख कश्मीर के पहलगाम का सौंदर्य उकेर रहा है। मुल्ला नसरुद्दीन का शहर ‘बुखारा’ भी डा. प्रमिला वर्मा के लेख में अपनी कहानी सुना रहा है। अवधेश तिवारी का लेख ‘साहित्य तीर्थ : दौलतपुर, गढाकोला और बैथर’ भी रोचकता लिए हुए है। अद्भुत शिव मंदिर ककनमठ (मध्यप्रदेश) के आध्यात्मिक सौंदर्य को डा. नीलकमल माहेश्वरी ने अपने लेख में उभारा है।

डा. कविता विकास बताती हैं कि राजस्थान के सज्जनगढ़ का किला संगमरमर और ग्रेनाइट से बना है। मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक धरोहर नल दमयंती दुर्ग देवेंद्र शर्मा के लेख में अपना सौंदर्य निखार रही है। प्रसिद्ध जुहू बीच में संगीत और व्यायाम के आयाम बता रही हैं डा. अमिता चौधरी। कैप्री आईलैंड में प्रकृति का आश्चर्य ‘ब्लू ग्रोटो’ माला वर्मा के लेख में अपनी विशेषताएं पाठकों का बता रहा है। झारखंड में लोध फॉल एक सुंदर स्थल है, यह बता रही हैं सारिका भूषण। जबलपुर के आसपास सुंदर स्थलों की सैर शीलेंद्र कुमार वशिष्ठ करवा रहे हैं। हिमाचल में किन्नर कैलाश और चैल के महल का सौंदर्य उकेरा है गोवर्धन यादव और रीता श्रीवास्तव ने। कीर्ति श्रीवास्तव फेसबुकिया रिश्ता नामक कहानी में सच्चे रिश्ते के पैमाने बता रही हैं। अनेक लघुकथाएं, कविताएं और सुंदर चित्र भी पत्रिका का सौंदर्य बढ़ा रहे हैं। -फीचर डेस्क


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